आपदा के बीते नौ माह, मांगों पर नहीं हो रही कार्रवाई, प्रभावितों में आक्रोश
गोपेश्वर, 22 दिसम्बर (हि.स.)। जोशीमठ आपदा प्रभावितों के साथ बीते अप्रैल माह में 11 सूत्रीय मांगों पर मुख्यमंत्री के साथ हुई सहमति वार्ता पर नौ माह बीत जाने के बाद भी कोई सकारात्मक पहल न होने से आपदा प्रभावित अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। जिसको लेकर शुक्रवार को जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति की ओर से शुक्रवार को एक दिवसीय धरना दिया गया तथा एक ज्ञापन उपजिलाधिकारी जोशीमठ के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेज कर मांग पर ठोस कार्रवाई करने की मांग की है।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती और प्रवक्ता कमल रतूड़ी ने कहा कि जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण मकानों और जमीन पर आयी दरारों के कारण लोगों को अपने घरों और जमीन से बेदखल होना पड़ा है। सरकार से मुआवजा और जोशीमठ को बचाने के लिए ठोस प्लानिंग किये जाने को लेकर प्रभावितों ने एक लंबा आंदोलन भी किया जिसके बाद मुख्यमंत्री के साथ 11 सूत्रीय मांग पर सहमति बनी और आंदोलन को स्थगित किया गया। लेकिन नौ माह का लंबा समय गुजर जाने के बाद भी अभी तक सरकार की ओर से नौ सूत्रीय मांग पर कोई कार्रवाई नहीं की है। जिससे लोगों में भारी रोष व्याप्त है।
उन्होंने कहा कि मुआवजा मिलना तो दूर जिन 150 से ज्यादा घरों का चिन्हीकरण सर्वेक्षण होना था, वह भी चार माह से लगातार टलता जा रहा है। आपदा प्रभावित अभी भी अपने भविष्य को लेकर निश्चित नहीं हैं। कोई ठोस, व्यावहारिक और व्यापक विस्थापन पुनर्वास नीति के अभाव में यह और भी अधिक चिंता बढ़ाने वाला है। पूरे देश दुनिया का जोशीमठ की आपदा ने ध्यान आकर्षित किया है, जिससे पर्यावरण एवम हिमालय के विकास ढांचे पर सर्वत्र एक बहस और चिंता जाग्रत हुई है। ऐसे में प्रभावितों को ऐसे असमंजस में रखना और जोशीमठ की सुरक्षा के उपायों को लम्बे समय तक टालना न सिर्फ सभी जोशीमठ के लिए चिन्तित लोगों की उपेक्षा है बल्कि यह स्वयं सरकार की मंशा और कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह है।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि अप्रैल माह में बनी सहमति के अनुरूप 11 सूत्री मांगों पर शीघ्र कार्रवाई की जाए, जोशीमठ नगर के स्थिरीकरण एवम प्रभावितों के विस्थापन पुनर्वास हेतु विस्तृत व्यापक ठोस व्यावहारिक विस्थापन पुनर्वास नीति बनाई जाए, जोशीमठ के पुनर्निर्माण स्थिरीकरण एवम विस्थापन पुनर्वास कार्यों की निगरानी के लिए निगरानी समिति बनाई जाए, जिससे गुणवत्ता पूर्ण समयबद्ध कार्य सुनिश्चित हो सके। इस समिति में जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति को अनिवार्य तौर पर शामिल किया जाए।
हिन्दुस्थान समाचार/जगदीश/वीरेन्द्र