पतंजलि योगपीठ में गर्भ संस्कार संतति सृजनम् विषय पर हुई राष्ट्रीय कार्यशाला
हरिद्वार, 09 मई (हि.स.)। पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज, पतंजलि अनुसंधान और पतंजलि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में “गर्भ संस्कार” आधारित एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला “संतति सृजनम्” का आयोजन हुआ। इस अवसर पर डॉ. (प्रो.) कल्पना शर्मा को आयुर्वेद के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ प्रदान किया गया।
कार्यक्रम में स्वामी रामदेव ने कहा कि भारत भूमि गौरवशाली आदर्श माताओं से सुसमृद्ध है। इनमें जीजाबाई, पुतलीबाई, मदालसा, सीता ऐसी माताएं रही हैं जिन्होंने सुसंस्कारित सन्तान को आकार दिया, आज भारत भूमि को ऐसी ही संततियों की आवश्यकता है। आचार्य बालकृष्ण ने मातृत्व की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि वेदों और ग्रंथों में सोलह संस्कारों का वर्णन किया गया है जिनमें तीन संस्कार गर्भाधान, पुंसवन और सीमंतोन्नयन जन्म से पूर्व के है, उनका संयोजन भावी शिशु के माता-पिता द्वारा गर्भ की रक्षा-भावना से किया जाता है। यदि मां स्वस्थ है तो ही वह स्वस्थ बालक को जन्म दे सकती है।
विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ. (प्रो.) कल्पना शर्मा ने कहा कि आयुर्वेद का प्रमुख उद्देश्य स्वास्थ्य को बनाए रखना, बीमारी की रोकथाम और इलाज करना है। आयुर्वेद वह संजीवनी है जो जीवन को आध्यात्मिक दृष्टि से अलौकिक शक्ति प्रदान करती है। पुरुष बीज-स्त्री बीज के तथ्यों में यह प्रकृति का सृजनम करते हैं जिससे सभ्यता का निर्माण होता है।
समारोह को संबोधित करते हुए आयुर्वेद कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल गिरीश केजे ने विभिन्न आयुर्वेदिक कॉलेजों द्वारा इस क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की। राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए| कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुमन सिंह एवं डॉ. ग्रेसी सोकिया ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार / रजनीकांत/प्रभात