उत्तराखंड में मानसून तबाही मचाने को आतुर, आठ जुलाई तक भारी बारिश का रेड अलर्ट

 


- भूस्खलन और बाढ़ की चेतावनी, अतिवृष्टि के आसार

देहरादून, 04 जुलाई (हि.स.)। उत्तराखंड में मानसून तबाही मचाने को आतुर है। इन दिनों प्रदेश भर में ऐसा ही मंजर दिख रहा है। यही स्थिति रही तो जुलाई का प्रथम सप्ताह उत्तराखंड के लिए भयावह साबित होगा। मौसम विभाग ने भी सरकारी तंत्र के साथ आमजन को चेताया है और सतर्कता के साथ सावधानी बरतने की सलाह दी है। साथ ही भारी बारिश को लेकर आठ जुलाई तक कहीं रेड अलर्ट, कहीं ऑरेंज तो कहीं येलो अलर्ट जारी किया है। ऐसे में लोगों को सावधान रहने की जरूरत है।

लंबे इंतजार के बाद मानसून आया तो उत्तराखंड की फिजाओं में ठंडक घुली। इससे लोगों को तपिश से राहत तो मिली, लेकिन परेशानी और बढ़ गई। भारी बारिश से कहीं बाढ़ तो कहीं बादल फटने की घटनाएं सामने आ रही हैं। कुल मिलाकर मौसम अब कहर ढा रहा है। कुमाऊं और गढ़वाल मंडल, दो भागों में बंटे उत्तराखंड राज्य में चारों तरफ आसमान से आफत बरस रहा है।

मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक डॉ. बिक्रम सिंह ने राज्य में अगले चार दिन बहुत भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। कहीं-कहीं अतिवृष्टि के आसार हैं। संवेदनशील क्षेत्रों में कहीं-कहीं भूस्खलन एवं चट्टानें गिरने की आशंका है। इससे सड़कों, राजमार्गों, पुलों का अवरुद्ध होना, बिजली, पानी आदि सेवाओं के प्रभावित होने की संभावना है। नदियों में बाढ़ आने के कारण बांध-बैराजों पर सिल्ट जम सकती है।

पर्वतीय क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं भी होने लगी हैं। ऐसे में इन दिनों एनडीआरएफ, एसडीआरएफ समेत पुलिस विभाग, लोक निर्माण विभाग समेत अन्य सभी विभागों की सक्रियता बढ़ गई है।

निगम के दावों की खुली पोल, सड़कों पर बह रहा कूड़ा

इन दिनों भारी बारिश के कारण जलभराव से क्षतिग्रस्त सड़कों पर परेशानी बढ़ गई है। नगर निगम के दावों की पोल भी खुलने लगी है। नाले चोक होने के कारण बारिश का पानी सड़कों पर बह रहा है। ओवरफ्लो नालियों से कूड़ा व गंदगी भी सड़क पर पसर रही है। शहर के तमाम चौक-चौराहों पर प्लास्टिक समेत अन्य कूड़ा बिखरा हुआ है। निर्माण कार्यों के चलते क्षतिग्रस्त सड़कें भी दर्द दे रही हैं। वहीं गड्ढों में जमा पानी और उधड़ी सड़कों पर हादसों का खतरा बना हुआ है। भारी बारिश के चलते कई जगह मार्ग भी अवरूद्ध हो गए हैं। वर्तमान में पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में गुंजी मार्ग रौंगती नाला, दोबाट पर बंद है जबकि चारधाम यात्रा के सभी राष्ट्रीय राजमार्ग सुचारू हैं।

नदियां भी उफान पर, खतरे के निशान के करीब पहुंच रहा जलस्तर

राज्य आपदाकालीन परिचालन केंद्र के उप सचिव-ड्यूटी ऑफिसर धीरेंद्र कुमार सिंह की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार रुद्रप्रयाग जिले में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच चुका है। अलकनंदा नदी का जलस्तर वर्तमान में 622.74 मीटर है जबकि खतरे का निशान 627 मीटर है। वहीं मंदाकिनी नदी का जलस्तर 621.45 मीटर है। खतरे का निशान 626 मीटर है।

उत्तरकाशी जिले में भागीरथी नदी का जलस्तर (गेज रिपोर्ट तिलोथ पुल से) 1119.65 मीटर है जबकि खतरे का निशान 1123 मीटर है। बागेश्वर जिले में सरयू नदी का जलस्तर 865.80 मीटर है और खतरे का निशान 870.70 मीटर है। गोमती नदी का जलस्तर 862.50 मीटर है और खतरे का निशान 870.70 मीटर है। पिथौरागढ़ जिले में काली नदी का जलस्तर 888.60 मीटर है और खतरे का निशान 890 मीटर है। गोरी नदी का जलस्तर 604.10 मीटर है और खतरे का निशान 607.80 मीटर है। सरयू नदी का जलस्तर 446.20 मीटर तो खतरे का निशान 453 मीटर है। चंपावत जिले में शारदा नदी का जलस्तर 218.80 मीटर तो खतरे का निशान 221.70 मीटर है। हरिद्वार में गंगा नदी का जलस्तर 291.15 मीटर तो खतरे का निशान 294 मीटर है। चमोली जिले में अलकनंदा नदी का जलस्तर 952.65 मीटर तो खतरे का निशान 957.42 मीटर है। नंदाकिनी का जलस्तर 866.60 मीटर तो खतरे का निशान 871.50 मीटर है। पिंडर नदी का जलस्तर 768.20 मीटर तो खतरे का निशान 773 मीटर है। वहीं टिहरी गढ़वाल में टिहरी बांध का जलस्तर 779.70 मीटर तो खतरे का निशान 830 मीटर है।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/वीरेन्द्र