जनहानि को लेकर स्थिति स्पष्ट करे सरकार: हरीश रावत
रुद्रप्रयाग, 02 अगस्त (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि केदारनाथ पैदल मार्ग पर आई आपदा में सरकार और प्रशासन को जनहानि को लेकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। कई यात्री एवं स्थानीय व्यापारी चिंता में है। उन्हें अपनों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। लोग अपनों की प्रतिक्षा कर रहे हैं। ऐसे में स्थिति स्पष्ट कर देनी चाहिए।
हरीश रावत ने केदारघाटी से लौटते हुए रुद्रप्रयाग में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि केदारनाथ पैदल मार्ग में यह बड़ी आपदा है। सोनप्रयाग से केदार के निचले हिस्से को काफी नुकसान हुआ है। रास्ते बह गए हैं। गौरीकुंड में संकट गहरा गया है। सोनप्रयाग में रास्ते का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। पैदल मार्ग और प्रमुख कस्बों में आजीविका चला रहे कई लोगों की जानकारी नहीं मिल पा रही है। उनके परिजन चिंतित हैं। ऐसी सूचना मिल रही है कि कई लोग लापता हैं इसलिए सरकार और प्रशासन को स्थिति स्पष्ट कर देनी चाहिए कि जानमाल का क्या नुकसान हुआ है।
हरीश रावत ने कहा कि पूर्व में भी केदारघाटी में आपदा आई है। वर्ष 2015-16 में हमने प्रयास किया कि कालीमठ-चौमासी मार्ग को डेवलप किया जाए। मेरी जानकारी में वही सबसे सुरक्षित मार्ग है। हमने हिटो केदार अभियान चलाया था, तब हमारा उद्देश्य यही था कि केदारनाथ के लिए वैकल्पिक रास्ते की तलाश की जाए। वर्ष 2013 जैसी आपदा आने में यही मार्ग सुरक्षित वैकल्पिक मार्ग का काम कर सकता है।
कांग्रेस नेता ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बदरीनाथ उप चुनाव के दौरान उन्होंने यह मामला उठाया था कि प्रदेश सरकार ने इस साल की यात्रा गडबड़ा दी है। हर पड़ाव पर बातचीत की तो यही पता चला कि राज्य सरकार की लापरवाही के कारण इस बार चारधाम यात्रा गड़बड़ाई है। पूरी यात्रा में अभी 40 फीसदी यात्रा ही चल पाई है। यात्रा के नाम पर कभी रजिस्ट्रेशन की बाध्यता फिर इसे खत्म करना आदि से यात्री परेशान हुआ है।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि रुद्रप्रयाग और चमोली अति संवेदनशील जनपद हैं। यहां रुद्रप्रयाग से लेकर गौरीकुंड तक लोगों की आजीविका यात्रा पर टिकी है, मगर यात्रा से पहले ही सरकार और प्रशासन ने सड़कों किनारे रोजगार कर रहे बड़ी संख्या में लोगों को हटा दिया जिससे उनके सामने संकट आ गया। अब दूसरे चरण की यात्रा शुरू होने वाली है। प्रशासन ऐसे लोगों के हितों को ध्यान में रखे। चौराबाड़ी ताल की सुरक्षा नहीं की गई है। यहां वॉच टॉवर विकसित किए जाने थे, वैज्ञानिक अध्ययन की व्यवस्था करनी थी ताकि ग्लेशियर टूटने की स्थिति में पानी की निकासी के लिए विशेष योजना बना ली जाती। उन्होंने कहा कि रामबाड़ा से केदारनाथ तक भू-कटाव हो रहा है। तत्तकालीन समय में हमने पूरा प्रोजेक्ट बनाया था। तल्ली लिंचौली का प्रोटेक्शन का काम नहीं हो पाया है। पहाड़ियों को नुकसान पहुंच रहा है। सोनप्रयाग, गौरीकुड से रोपवे का काम आज तक नहीं हो पाया है। हरीश रावत ने कहा कि इस यात्रा से रुद्रप्रयाग जनपद के हर व्यक्ति को नुकसान हुआ है इसलिए सरकार को चाहिए कि यहां के लोगों के बिजली और पानी के रेट कम कर दें, जबकि टैक्स वसूली को 50 फीसदी माफ कर दिया जाए।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार / वीरेन्द्र सिंह