दून पुस्तकालय में सजी साहित्यिक सांझ, भानुभक्त की कृतियों का सम्मान

 




देहरादून, 26 नवंबर (हि.स.)। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र ने मंगलवार को साहित्य प्रेमियों के लिए अनोखी शाम का आयोजन किया, जहां नेपाली भाषा के आदि कवि भानुभक्त आचार्य के जीवन और कृतित्व पर एक सारगर्भित चर्चा हुई। इस अवसर ने साहित्य और संस्कृति के प्रेमियों को एक साथ आने का अवसर दिया, जहां विद्वानों ने भानुभक्त आचार्य के साहित्य के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला।इस जीवंत चर्चा ने न केवल भानुभक्त आचार्य के साहित्य को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य किया, बल्कि देहरादून की साहित्यिक परंपरा को भी समृद्ध किया। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने अतिथियों और श्रोताओं का गर्मजोशी से स्वागत किया। इसके बाद चर्चा के मुख्य वक्ता, वरिष्ठ लेखक और मार्गदर्शक कृष्ण प्रसाद पन्थी ने भानुभक्त आचार्य के जीवन के अनूठे प्रसंगों को साझा किया। उन्होंने बताया कि किस तरह संस्कृत साहित्य के विद्वान भानुभक्त ने अपनी आध्यात्मिक चेतना और प्रखर काव्यशक्ति से नेपाली रामायण का सृजन कर नेपाली साहित्य को एक नई ऊंचाई दी। उनकी रचनाओं में भारतीय काव्यशास्त्र की परंपराओं का अद्भुत समावेश नजर आता है।भाषाविद और अनुवादक डॉ. दिनेश शर्मा ने चर्चा को और गहराई दी। उन्होंने श्रोताओं को भानुभक्त आचार्य के दुर्लभ पत्रों और कविताओं से परिचित कराया, जिनमें उनकी संवेदनशीलता और संघर्ष झलकते हैं। जेल से प्रधानमंत्री को लिखी कविता और पुत्र को लिखे पत्र जैसे प्रसंगों ने श्रोताओं को गहरी भावुकता से भर दिया। साथ ही उन्होंने नेपाली भाषा के विकास में उत्तराखंड और हिमालयी क्षेत्रों के योगदान को भी रेखांकित किया।रेडियो प्रस्तोता संकल्पा पन्त ने अपनी सहज और प्रभावी शैली में कार्यक्रम का संचालन किया। उन्होंने नेपाली साहित्य की मिठास और उसमें निहित लोक कल्याण की भावना को श्रोताओं के सामने बड़े प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। चर्चा के दौरान श्रोताओं के सवालों को भी वक्ताओं ने उत्साहपूर्वक संबोधित किया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय नेपाली भाषा समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. भूपेंद्र अधिकारी ने इस आयोजन को भाषा संरक्षण के प्रयासों के लिए प्रेरणादायक बताया। उन्होंने दून पुस्तकालय के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन किसी भी भाषा और संस्कृति को जीवित रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।श्रोताओं में शहर के कई जाने-माने साहित्यकार और भाषा प्रेमी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में देवेंद्र कांडपाल, सुशील देवली, हिमांशु आहूजा, शादाब मसहीदी, डॉ. मनकुमारी गौतम, भारती मिश्रा और राकेश कुमार जैसे प्रमुख नाम शामिल थे।

हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण