शायर दर्द गढ़वाली के गजल संग्रह 'इश्क-मुहब्बत जारी रक्खो' का लोकार्पण

 


देहरादून, 22 फरवरी (हि.स.)। वरिष्ठ पत्रकार और शायर लक्ष्मी प्रसाद बड़ोनी 'दर्द गढ़वाली' के गजल संग्रह 'इश्क-मुहब्बत जारी रक्खो' का गुरुवार को परेड ग्राउंड स्थित दून लाइब्रेरी में लोकार्पण किया गया।

मुख्य अतिथि प्रसिद्ध शायर रवि पाराशर, कार्यक्रम अध्यक्ष इकबाल आजर, विशिष्ट अतिथि शादाब मशहदी, कुंवर गजेंद्र सिंह गरल, अमजद खान अमजद और मीरा नवेली ने संयुक्त रूप से गजल संग्रह का लोकार्पण किया।

दिल्ली से आए मुख्य अतिथि रवि पाराशर ने कहा कि दर्द गढ़वाली की गजलें सहज व सरल हैं और वह समाज में घटती घटनाओं को कागज में उतारने का हुनर रखते हैं। गजल संग्रह की समीक्षा करते हुए शादाब मशहदी ने कहा कि दर्द गढ़वाली की गजलें आसानी से समझ आ जाती हैं। उर्दू के भारी भरकम शब्दों से उन्होंने परहेज किया है। यही कारण है कि उनकी गजलें दिल में उतर जाती हैं। दर्द गढ़वाली ने कहा कि शायरी उनके जीवन में रच-बस गई है। वह इससे अलग होने की सोच भी नहीं सकते। कार्यक्रम का संचालन मीरा नवेली ने किया।

दून पुस्तकालय की ओर से आयोजित मुशायरा में शायरों ने 'सुना है फिक्र है उनको नदी की, समंदर को जो खारा कर रहे हैं' की प्रस्तुति से श्रोताओं का दिल जीत लिया। शायरों ने जहां प्यार-मुहब्बत की बात की, वहीं मौजूदा माहौल पर भी शेर सुनाए। देहरादून के शायर इम्तियाज ने तरन्नुम से गजल सुनाकर समां बांधा। दिल्ली से आए शायर कुंअर गजेंद्र सिंह गरल ने 'जुबां यारो ये ऐसे ही नहीं कड़वी हुई अपनी। कई मुद्दत उबाला है उसूलों की पतीली में।।' और 'मिरी मसरुफियत को देख वो भी मुड़ गई पीछे। मुझे फुर्सत न थी मैं मौत के जाकर गले लगता।।' सुनाकर वाहवाही बटोरी। कार्यक्रम के प्रारंभ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने सबका स्वागत किया।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/रामानुज