कृषि मंत्री बोले- उत्तराखंड में औद्यानिकी की अपार संभावनाएं, बंजर भूमि पर लहलहाएंगे मोटे अनाज

 




देहरादून, 18 जुलाई (हि.स.)। नाबार्ड के स्थापना दिवस पर गुरुवार को आईटी पार्क स्थित क्षेत्रीय कार्यालय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रदेश के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने बतौर मुख्य अतिथि दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

कृषि मंत्री ने देश-प्रदेश में नाबार्ड की ओर से किए जा रहे कार्यों की प्रदर्शनी का अवलोकन कर नाबार्ड के क्रियाकलापों के बारें में जानकारी ली। साथ ही विकासमुख उत्तराखंड में नाबार्ड की सार्थक पहल वर्ष 2023-24 तथा कृषि क्षेत्र गतिविधियों की इकाई की लागतें पुस्तक का विमोचन किया। वहीं प्रदेश भर से पहुंचे किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के लाभार्थियों ने अपने अनुभवों को साझा किया।

मुख्य अतिथि कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि नाबार्ड की स्थापना 42 वर्ष पहले 12 जुलाई 1982 को हुई थी, तब से यह संस्था निरंतर कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाता चला आ रहा है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड ने उत्तराखंड के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए पिछले तीन वर्षों में नाबार्ड के 16.48 करोड़ की अनुदान राशि से मोबाइल एटीएम वैन, पीओएस मशीन, माइक्रो एटीएम जैसी सुविधाएं स्थापित की गई हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं की पहुंच बढ़ी है।

कृषि मंत्री ने घेरबाड़ योजना के लिए नाबार्ड से मांगा सहयोग

कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में औद्यानिकी की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने नाबार्ड के अधिकारियों को किसानों की फसलों को सुरक्षित करने के लिए घेरबाड़ की दिशा में कार्य करने को कहा। मंत्री ने बंजर भूमि पर मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ाने तथा जैविक खेती, पैक हाउस निर्माण और किसानों की फसलों जैसे फल-सब्जी के निर्यात के लिए फाइटो सेनेट्री लैब की दिशा में भी नाबार्ड को कार्य करने के लिए निर्देशित किया।

बागवानी, जल संरक्षण और सिंचाई परियोजनाओं को दी जाए प्राथमिकता

मंत्री जोशी ने कहा कि ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि (आरआईडीएफ) के माध्यम से नाबार्ड ने 11 हजार करोड़ से अधिक की परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं से राज्य में सिंचाई, सड़क नेटवर्क, पेयजल, और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं का विकास हुआ है। कृषि मंत्री ने कहा कि आरआईडीएफ के तहत उत्तराखंड में बागवानी, जल संरक्षण और सिंचाई परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाए। इससे कृषि उत्पादकता में सुधार होगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी।

पूंजी निवेश बढ़ाने पर जोर, विकास के नए आयाम स्थापित करेगा उत्तराखंड

उन्होंने कहा कि ऋण योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार नाबार्ड एवं सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करेगी, ताकि प्रदेश में पूंजी निवेश बढ़े और यह भी सुनिश्चित हो सके कि ऋण वास्तव में जरूरतमंद लोगों तक पहुंचे और इसका सही उपयोग हो। गणेश जोशी ने कहा कि नाबार्ड और उत्तराखंड सरकार मिलकर राज्य के विकास के लिए नए आयाम स्थापित करेंगे।

उत्तराखंड में एफपीओ पॉलिसी ला रही सरकार

उन्होंने कहा कि नाबार्ड राज्य में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन एवं संवर्धन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता रहा ह। इससे छोटे और सीमांत किसानों को लाभ मिल रहा है। मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार भी राज्य में एफपीओ पॉलिसी ला रही है। इसमें नाबार्ड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इससे एफपीओ को बढ़ावा देने के साथ उन्हें कृषि-प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन गतिविधियों से जोड़ने में मदद मिलेगी ही, किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त होगा।

नाबार्ड ने वर्ष 2024-25 के लिए अवमुक्त किया 21.11 करोड़ रुपये

नाबार्ड के सीजीएम ने बताया कि नाबार्ड की ओर से समय-समय पर देश-प्रदेश में प्रदर्शनी व बायर एंड सेलर मीट आयोजित की जाती है। इसमें प्रदेश के किसान अपने उत्पादों को प्रदर्शित करते हैं। अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष-2023 के उपलक्ष्य में प्रदेश में उगने वाले मोटे अनाजों की समितियों के माध्यम से विशेष खरीद अभियान शुरू किया गया था, जो आगे भी जारी रहेगा। नाबार्ड की ओर से वर्ष 2023-24 में उत्तराखंड को उपलब्ध आर्थिक सहायता कराई गई। कृषि विभाग को आरआईडीएफ योजनांतर्गत 22.19 करोड़ रुपये, रुद्रपुर में मृदा परीक्षण प्रयोगशाला भवन निर्माण के लिए 1.97 करोड़, शेष धनराशि मंडी के लिए अवमुक्त की गई। वर्ष 2024-25 के लिए आतिथि तक 21.11 करोड़ रुपये अवमुक्त की गई है। इस दौरान कृषि सचिव डॉ. सुरेंद्र नारायण पांडेय, आरडीआरबीआई अरविंद कुमार, सीजीएम नाबार्ड वीके बिष्ट, कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान, पद्मश्री किसान प्रेमचंद्र शर्मा, कृषि निदेशक केसी पाठक आदि उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण / वीरेन्द्र सिंह