जूना अखाड़े ने जानबूझकर महामण्डलेश्वर प्रबोधानंद गिरि की छवि को किया धूमिल, करेंगे कानूनी कार्यवाही: गोपाल गिरि
हरिद्वार, 5 दिसंबर (हि.स.)। जूना अखाड़े से निष्कासित किए गए महामण्डलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि के समर्थन में अब श्रीमहंत गोपाल गिरि महाराज आ गए हैं। उन्होंने स्वामी प्रबोधानंद गिरि पर हत्या के लगे आरोपों को निराधार बताते हुए इसे जानबूझकर एक संत की गरिमा को धूमिल करने वाला कदम बताया है। कहा कि इसके खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 28 नवबंर को अखाड़े और सरकार के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी करने के आरोप में जूना अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत मोहन भारती महाराज ने महामण्डलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि व महामण्डलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि महाराज को अखाड़े से बर्खास्त कर दिया था। इतना ही नहीं अखाड़े की ओर से महामण्डलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि का हत्या का आरोपित बताते हुए उनके मुकदमें से संबंधित कागजात भी वायरल किए थे।
श्रीमहंत गोपाल गिरि महाराज ने कहाकि जब कोई व्यक्ति 7 मार्च 2014 को आरोपों से बाइज्जत बरी हो गया हो तो उसके खिलाफ अनर्गल बयानबाजी करना और उसे हत्या का आरोपित बताकर कागजात को वायरल करना न्यायालय की अवमानना है। उन्होंने कहाकि जब न्यायालय ने महामण्डलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज को बाइज्जत बरी कर दिया है तो उनको हत्या का आरोपित बताना उनकी छवि को जानबूझकर धूमिल करने जैसा है और गंभीर अपराध है। उन्होंने कहाकि यदि न्यायालय उनको बरी नहीं करता तो अखाड़े का यह कदम सही ठहराया जा सकता था, किन्तु बरी होने के 11 वर्ष बाद उन्हें दोषी बताना उनकी छवि को जानबूझकर धूमिल करने की सोची समझी चाल है, जिसके खिलाफ वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
उन्होंने कहाकि सत्य भाषण करने पर किसी भी संत को अखाड़े से बाहर कर देना न्याय नहीं हैं। कहाकि आज भी दर्जनों ऐसे संत हैं, जिन पर गंभीर आरोपों में मुकदमें दर्ज हैं, फिर अखाड़ा उन पर कार्यवाही क्यों नहीं करता।
कहाकि अखाड़े में बिना किसी पद पर होने के बाद भी श्रीमहंत हरिगिरि महाराज अखाड़ा परिषद के महामंत्री बने हुए हैं। अखाड़ा बताए की वह कैसे अखाड़ा परिषद के महामंत्री पद पर बने हुए हैं, जबकि अखाड़े का पदाधिकारी ही अखाड़ा परिषद में किसी भी पद पर हो सकता है।
कहाकि महामण्डलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि की झूठे आरोपों से मानहानि व उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने का कार्य किया गया है, जिसके लिए अब न्यायालय का दरवाजा खटखटाखा जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला