बिना स्वाध्याय के सामर्थ्य विकसित नहीं हो सकता: बालकृष्ण

 


हरिद्वार, 22 दिसंबर (हि.स.)। पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय में चार दिवसीय क्रीड़ा महोत्सव ओजस का समापन हुआ। खेल प्रतियोगिता के समापन अवसर पर पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि देह का निर्माण माता के गर्भ में होता है, जबकि विचारों का निर्माण गुरुजनों के सान्निध्य में होता है, इसीलिए गुरु के सान्निध्य को द्विज कहा जाता है। अभी आपका आगम काल चल रहा है, अर्थात गुरुजनों के द्वारा आपको दीक्षित किया जा रहा है। अभी दूसरा चरण स्वाध्याय काल शेष है।

उन्होंने कहा कि बिना स्वाध्याय के सामर्थ्य विकसित नहीं हो सकता। खेल प्रतियोगिता के विषय में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि खेल किसी भी आयोजन की आत्मा होते हैं और युवा वर्ग को अनुशासन तथा जीवन की दिशा देने का कार्य करते हैं।

भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष एनपी सिंह ने कहा कि प्रतियोगिता का अर्थ प्रतिद्वन्द्वता या प्रतिस्पर्धा नहीं है, प्रतियोगिता का अर्थ है कि यदि कोई एक व्यक्ति या पक्ष कोई योगदान कर रहा है तो उससे बेहतर प्रति योगदान करने वाला कौन है।

इस अवसर पर पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. गिरिश केजे, स्पोर्ट्स कमेटी प्रमुख डॉ. सौरभ शर्मा, साध्वी देवसुमना, साध्वी देवस्वस्ति, साध्वी देवविभा सहित महाविद्यालय के समस्त शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला