आपदा प्रबंधन में उत्तराखंड की चर्चा एक मॉडल राज्य के रूप में: राज्यपाल
देहरादून, 26 जुलाई (हि.स.)। राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह (से.नि) ने शुक्रवार को उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कंट्रोल रूम से मानसून के दृष्टिगत प्रदेशभर में हालात की समीक्षा की। उन्होंने जिलाधिकारियों से वार्ता कर जमीनी स्तर पर किए जा रहे राहत और बचाव कार्यों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उत्तराखंड की चर्चा एक मॉडल स्टेट के रूप में होती है।
राज्यपाल ने कहा कि आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उत्तराखंड राज्य की देश-विदेश में प्रशंसा होती है। उत्तराखंड में बहुत ही पेशेवर ढंग से आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्य किए जा रहे हैं। आपदा प्रबंधन और न्यूनीकरण को लेकर भी उत्तराखंड के उदाहरण दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आपदाओं के लिहाज से काफी संवेदनशील राज्य है तथा मानसून के तीन महीने काफी चुनौतीपूर्ण रहते हैं। ऐसे में जिलाधिकारियों पर बड़ा दारोमदार है। उन्होंने मानसून को लेकर सभी जनपदों तथा विभागों की तैयारी पर संतोष व्यक्त किया।
राज्यपाल ने कहा कि उनके पास प्रतिदिन आपदा प्रबंधन से संबंधित सूचनाएं आती हैं। एक रिपोर्ट जिसे वे बहुत गहनता और बारीकी से पढ़ते हैं,वह है यूएसडीएमए के कंट्रोल रूम से जारी होने वाली दैनिक रिपोर्ट। इस रिपोर्ट की जरिये उन्हें पूरे प्रदेश की स्थिति और हालात की जानकारी मिल जाती है। छोटी से छोटी जानकारी भी इस रिपोर्ट में होती है। इस रिपोर्ट के लिए उन्होंने यूएसडीएमए के अधिकारियों और कर्मचारियों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और माडर्न तकनीक की बड़ी भूमिका है। उन्होंने आपदाओं के दौरान जो भी राहत और बचाव कार्य तथा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन के कार्य उत्तराखंड में हो रहे हैं, उनका दस्तावेजीकरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आज के सबक भावी पीढ़ियों को कई चीजें सिखाएंगे। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन में ना की कोई गुंजाइश नहीं है। सकारात्मक रवैया बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है।
उन्होंने देश के पहले सीडीएस स्वर्गीय जनरल बिपिन रावत का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तराखंड ने देश को कई क्षेत्रों में शानदार नेतृत्व करने वाले लोग दिए हैं। राज्य सलाहकार समिति, आपदा प्रबंधन विभाग के उपाध्यक्ष विनय कुमार रूहेला ने प्रदेश में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों से राज्यपाल को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि वे स्वयं मौके पर जाकर हालात की निगरानी कर रहे हैं।
आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने मद्महेश्वर में फंसे यात्रियों को निकालने को लेकर चलाए जा रहे रेस्क्यू अभियान की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार आपदा प्रभावितों को तत्काल अहेतुक सहायता दी जा रही है। उन्होंने बताया कि ऊधमसिंहनगर और चंपावत में करीब पंद्रह हजार प्रभावित लोगों को एक सप्ताह के अंदर सहायता राशि वितरित की गई जो अपने आप में एक रिकार्ड है।
गौंडार के ग्राम प्रधान से बात की, योगदान के लिए सराहा
जनपद रुद्रप्रयाग में नदी पर बने पैदल पुल के टूटने के बाद मदमहेश्वर में फंसे सौ से भी अधिक तीर्थयात्रियों की मदद को आगे आए और राहत और बचाव दलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग कर रहे गौंडार के ग्राम प्रधान बीर सिंह पंवार की राज्यपाल ने प्रशंसा की। उन्होंने ग्राम प्रधान से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात कर उनके द्वारा दिए जा रहे सहयोग के लिए उनका आभार जताया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोगों के इसी सेवा, सहयोग के भाव तथा जज्बे की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोग आपदा और विपदा के समय एक योद्धा की तरह अपनी भूमिका का निर्वहन करते हैं।
दो हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू
आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि मदमहेश्वर में फंसे यात्रियों को लेकर मुख्यमंत्री की ओर से नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है और अपडेट लिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी स्वयं मौके पर गए। दो हेलीकॉप्टरों के जरिये फंसे तीर्थयात्रियों का रेस्क्यू किया जा रहा है। फंसे हुए यात्रियों के पास तुरंत भोजन और पानी भिजवाया गया। उन्हें नानू चट्टी में वैकल्पिक हैलीपेड से रांसी पहुंचाया गया। डॉक्टरों की टीम ने सभी यात्रियों की जांच की है और सभी यात्री सुरक्षित हैं।
सिलक्यारा टनल रेस्क्यू उत्कृष्ट उदाहरण
राज्यपाल ने रेस्क्यू अभियान को लेकर मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस पूरे अभियान में मुख्यमंत्री ने फ्रंट फुट पर आकर जिस तरह से अभियान की निगरानी की, वह काबिले तारीफ है। सिलक्यारा टनल में चले रेस्क्यू अभियान के जरिये पूरी दुनिया ने उत्तराखंड के उत्कृष्ट आपदा प्रबंधन को करीब से देखा।
तीन महीने में बनाएं डैशबोर्ड
राज्यपाल ने यूएसडीएमए के अधिकारियों और विशेषज्ञों को तीन महीने में अपना एक डैशबोर्ड बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन के दौरान राहत और बचाव कार्यों को संचालित करने तथा डिसिजन मेकिंग में यह डैशबोर्ड बहुत उपयोगी साबित होगा। उन्होंने इसके लिए यूएसडीएमए को तीन महीने का समय दिया।
इस मौके पर यूएसडीएमए के एसीईओ प्रशासन आनंद स्वरूप, एसीईओ क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, जेसीईओ मो.ओबैदुल्लाह अंसारी, यूएलएमएमसी के निदेशक शांतनु सरकार, एसईओसी की दिवस प्रभारी जेसिका टेरोन, यूएसडीएमए के विशेषज्ञ डीडी डालाकोटी, मनीष भगत, रोहित कुमार, डॉ. पूजा राणा, डॉ. वेदिका पंत, हेमंत बिष्ट, तंद्रीला सरकार आदि मौजूद थे।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार / वीरेन्द्र सिंह