पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह ने धामी सरकार की कार्यप्रणाली पर जताया संतोष, दी क्लीन चीट
- उत्तराखंड में पांच सौ करोड़ रुपये में सरकार गिराने की बात काे समझ से परे बताया
गोपेश्वर, 05 सितंबर (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने धामी सरकार की कार्यप्रणाली पर संतोष जताते हुए शत-प्रतिशत अंक प्रदान किए। उन्हाेंने उत्तराखंड में पांच सौ करोड़ रुपये में सरकार गिराने की बात काे समझ से परे बताया।
गोपेश्वर में शिक्षक दिवस कार्यक्रम में आए पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मीडिया ने सवाल किया कि एक सियासी परीक्षक के नाते वह धामी सरकार को कितना अंक प्रदान करेंगे। इस पर उन्हाेंने धामी सरकार को शत-प्रतिशत अंक प्रदान किए। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार विकास तथा नीतियों के आधार पर धरातल पर काम कर रही है। अंतिम छोर के व्यक्ति तक विकास योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए डबल इंजन सरकार संकल्पबद्ध है। पिछले दिनों भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में चर्चित बयान को लेकर तीरथ सिंह रावत ने कहा कि यह पार्टी के भीतर का मसला है। इस पर वे अब कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। कार्यकर्ताओं की भावनाओं के अनुसार उन्होंने कार्यसमिति बैठक में यह बात कही थी।
प्रदेश की भाजपा सरकार को एक विधायक की ओर से पांच सौ करोड़ रुपये में गिराने से संबंधित सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भराड़ीसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान उठाया गया यह सवाल किसी के गले नहीं उतर पा रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी विधायक को इस तरह का सवाल विधानसभा में तथ्यों के साथ उठाना चाहिए। केवल सियासी सनसनी फैलाने के लिए इस तरह के सवाल नहीं उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैसे राज्य में पांच सौ करोड़ रुपये में सरकार गिराने की बात समझ से परे हैं। सदन के अंदर विधायक को इस बात को सिद्ध करना चाहिए था किंतु वह इस तरह की बात को सिद्ध नहीं कर पाए। इससे साफ है कि इस तरह की बातें सनसनी फैलाने के लिए की गई।
भाजपा विश्व में नंबर वन पार्टी
भाजपा सदस्यता अभियान पर पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि भाजपा की हर वर्ग में पैठ बढ़ती जा रही है। पहले चीन में वामपंथी पार्टी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित हुई थी। अब भाजपा विश्व में नंबर वन पार्टी बन गई है। उन्होंने कहा कि सदस्यता अभियान को तेजी से आग बढ़ाया जा रहा है। मौजूदा समय में एक करोड़ नए सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित है।
हिन्दुस्थान समाचार / जगदीश पोखरियाल