संतुलित और सुरक्षित आहार ही स्वस्थ रहने का आधार है : ताजबर सिंह जग्गी

 


देहरादून, 07 जून (हि.स.)। खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने शुक्रवार को कहा कि संतुलित व सुरक्षित आहार ही स्वस्थ रहने का आधार है। राज्य में खाद्य अपमिश्रण पर अंकुश लगाने के लिए मानव संसाधन जैसे कि खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की कमी को जल्दी दूर कर लिया जायेगा। चारधाम यात्रा मार्गों व पर्यटन केन्द्रों पर विशेष अभियान चलाकर मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने वालों पर नकेल कसी जा रही है।

शुक्रवार को सुभाष रोड स्थित होटल में खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) एवं पीआरएसआई के तत्वावधान में विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर शुक्रवार को खाद्य कारोबारियों, मीडिया व विषय विशेषज्ञों के साथ खाद्य सुरक्षा संवाद आयोजित किया गया। इस दौरान खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी व अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

कार्यक्रम में अपर आयुक्त ने कहा कि चारधाम यात्रा मार्गों व पर्यटन केन्द्रों पर विशेष अभियान चलाकर मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने वालों पर नकेल कसी जा रही है। विगत पांच महीनों में ही जनवरी से मई तक 1763 नमूने लिये जा चुके हैं। जांच में दोषी पाये जाने वालों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के साथ ही मुकदमे दर्ज किये जा चुके हैं। उन्होंने लोगों से किसी भी तरह की समस्या या शिकायत के लिए विभागीय टोल फ्री नम्बर 180018004246 पर जानकारी देने की बात कही।

उन्होंने कहा कि राज्य में 25 खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के चयन के लिए लोक सेवा आयोग को अधियाचन भेजा गया है। लोक सेवा आयोग से चयन होने तक प्रतिनियुक्ति पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी तैनात किये जाने की प्रक्रिया गतिमान है। राज्य के प्रवर्तन/सर्विलांस की कार्यवाही में तेजी लायी जा रही है। खाद्य उपभोक्ताओं को अपमिश्रण के प्रति जागरूक किये जाने हेतु प्रशिक्षण व त्वरित जांच के लिए 03 सचल खाद्य विश्लेषणशालाओं के माध्यम से नमूने जांच किये जा रहे हैं। खाद्य कारोबारियों को खाद्य नियमों की जानकारी एवं स्वच्छता सम्बन्धी मानकों के लिए जागृत करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। 2000 स्ट्रीट वेन्डरों को राज्य के विभिन्न जनपदों में प्रशिक्षित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि अपमिश्रण सम्बन्धी अपराध का पता लगाने व अपराधी को पकड़वाने में मदद करने और जल्द ही राज्य खाद्य सुरक्षा अधिनियम के नियमों के तहत विधि व निधि निर्धारित करने के लिए प्रयासरत हैं।

उन्होंने बताया कि खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन जल्द ही सर्विलांस की कार्यवाही करेगा, जिसमें फल (आम, केला आदि), मसाले, दूध व खाद्य तेल प्रमुख है। राज्य में विद्यमान खाद्य निर्माण इकाईयों का रिस्क बेस निरीक्षण किया जाएगा। दुग्ध उत्पदों, खाद्य तेल, मसाले निर्माण इकाईयों का समय-समय पर निरीक्षण कर नियमों के उल्लंघन पर दण्डात्मक कार्रवाई की जायेगी।

एम्स ऋषिकेश के कम्युनिटी मेडिसीन विभाग से डॉ संतोष ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि हम फूड पेंडेमिक के दौर में जाने वाले हैं। अगर हम खाने को दवा की तरह लेना पसंद करेंगे तो हो सकता है कि आने वाले दिनों में दवा लेने की जरूरत न पड़े। जब भी हम खानपान की बात करते हैं तो यह हमारी जिम्मेदारी और यह हमें तय करना है कि हमारे शरीर के लिए क्या सही है।

उन्होंने कहा कि नशे की लत की भांति जंक फूड का भी एडिक्शन लोगों में होता जा रहा है, जिसे अभी सब नदरअंदाज कर रहे हैं। इस फूड एडिक्शन के कारण ही आज तमाम लोग हृदयाघात, हाइपरटेंशन, ओबेसिटी जैसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।खाने से पहले जरूर सोचें, नहीं तो अनएक्सपेक्टेड के लिए तैयार रहिए।

पीआरएसआई के देहरादून चैप्टर के अध्यक्ष व सूचना एवं लोक संपर्क विभाग में उपनिदेशक रवि बिजरानिया ने कहा कि आज सुरक्षित खानपान के बारे में चर्चा बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सही खानपान के लिए सावधानी जरूरी है और हमें बहुत ज्यादा स्वाद के लालच से भी बचना होगा। लोगों को फूड सेफ्टी पर जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग किया जा सकता है।

इस अवसर पर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के उपायुक्त गणेश चंद्र कंडवाल ने बताया कि विभाग की ओर से बहुत जल्द खाद्य सुरक्षा की कसौटी नामक पुस्तक का प्रकाशन किया जाने वाला है जिसमें खाद्य सुरक्षा से जुड़ी तमाम जानकारी उपलब्ध होगी। कोई भी शिकायत फूड सेफ्टी कनेक्ट एप पर दर्ज की जा सकती है।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश/वीरेन्द्र