दून पुस्तकालय और शोध केंद्र में कुमाऊंनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'अड्वाल' का प्रदर्शन

 


- पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल ने फिल्मकार ललित मोहन को दी बधाई

- फिल्मकार बोले, पहाड़ की ज्वलंत मुद्दों को काव्य के जरिए फिल्म में समेटने की कोशिश

देहरादून, 18 फरवरी (हि.स.)। कुमाऊंनी काव्य यात्रा पर बनी लंदन में रह रहे फिल्मकार ललित मोहन जोशी की आत्मकथात्मक कुमाऊंनी फिल्म 'अड्वाल' का शानदार प्रदर्शन रविवार को देहरादून के लैंसडाैन चौक स्थित दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में किया गया। दर्शकों ने फिल्मकार जोशी से सवाल-जबाब भी किए। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने फिल्मकार ललित मोहन जोशी का परिचय प्रस्तुत किया।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने ललित मोहन जोशी को कुमाऊंनी फिल्म निर्माण पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि आंचलिक व मातृभाषा में फिल्मों का बनना बड़ी बात है। फिल्मकार ललित मोहन जोशी ने कहा कि पहाड़ के पुराने कवियों के काव्य के माध्यम से पहाड़ की ज्वलंत मुद्दों को इस फिल्म में समेटने की एक कोशिश की है। इसका सही मूल्यांकन फिल्म के दर्शक ही कर सकते हैं। इसके बाद फिल्म प्रदर्शन का शुभारंभ किया गया।

एक डाक्यूमेंट्री फिल्मकार के रूप में ललित मोहन जोशी की 'लेखकों की भीड़ से अलग गौतम सचदेव और 'बियॉन्ड पार्टीशन' जैसी फिल्में हिंदी साहित्य और हिंदी फिल्मों के कथ्य व सरोकारों की पड़ताल करती हैं।

उल्लेखनीय है कि अड्वाल कुमाऊंनी कविता के उद्भव, विकास और उसमें अंतर्निहित दर्द की एक दास्तां है। वर्ष 2019 में उत्तराखंड की मनोरम पहाड़ियों में फिल्माई गई अड्वाल पहाड़ से होने वाले पलायन और वनोन्मूलन की भी काव्यात्मक दास्तां है। अड्वाल गुमानी से होती हुई, गौर्दा, श्यामाचरण दत्त पंत, रामदत्त पंत, चारु चंद्र पांडे, त्रिभुवन गिरी, देव सिंह पोखरिया और दिवा भट्ट तक जाती है।

अड्वाल के जीवंत किरदार, हिमालय की अलौकिकता, बुरांश और काफल जैसे फल-फूल, अल्मोड़ा सरीखे बौद्धिक शहर की खासियत, नौकुचियाताल और भीमताल झील की शांत लहरें और कुमाऊं के शहरों एवं पहाड़ियों को जोड़ने वाली खूबसूरत घुमावदार मोटर सड़कें हैं। अड्वाल का छायांकन पूना फिल्म संस्थान से प्रशिक्षित रंगोली अग्रवाल ने किया है। इसका संगीत कुमाऊं के प्रसिद्ध सरोद वादक पं. चंद्रशेखर तिवारी और बांसुरी वादक पं. हरीशचंद्र पंत ने दिया है।

लंदन के सांस्कृतिक, साहित्यिक और सिनेमाई मंच पर जोशी की उपस्थिति महत्वपूर्ण-

गौरतलब है कि लंदन के सांस्कृतिक, साहित्यिक और सिनेमाई मंच पर 1990 के दशक से रेडियो प्रसारक, लेखक, कवि, फिल्म इतिहासकार और फिल्मकार, ललित मोहन जोशी की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही है। जोशी अपने सांस्कृतिक कार्य व लेखन के लिए भारतीय उच्चायोग, विश्व रंग भोपाल, लमही साहित्यिक पत्रिका और यूके हिन्दी समिति द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/रामानुज