हमारे पूर्व सैनिक हिमालय के प्रहरी और पर्यावरण के संरक्षक: मुख्यमंत्री धामी
-वीरांगनाओं ने मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री ने वीरांगनाओं को किया सम्मानित
-मुख्यमंत्री ने पूर्व सैनिकों से की ‘‘हर घर तिरंगा’’ अभियान में सहयोगी बनने की अपेक्षा
-‘‘एक पेड मां के नाम’’ कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान देने की अपेक्षा
- मसूरी में की सैनिक विश्राम गृह बनाने की घोषणा
देहरादून, 11 अगस्त (हि. स.)। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे सैनिक हिमालय के प्रहरी और पर्यावरण के संरक्षक भी है। उन्होंने पूर्व सैनिकों से ‘हर घर तिरंगा’ और ‘एक पेड मां के नाम’ अभियान की सफलता में सहयोगी बनने की अपेक्षा करते हुए मसूरी में सैनिक विश्राम बनाने की घोषणा की। इस मौके पर वीरांगनाओं ने मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री ने वीरांगनाओं को सम्मानित किया।
रविवार शाम दून सैनिक इंस्टीट्यूट गढ़ीकैंट में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड पूर्व सैनिक संगठन की ओर से आयोजित आभार और संवाद कार्यक्रम में यह बातें कहीं। इस मौके पर पूर्व सैनिक संगठन के अधिकारियों और सैनिकों के साथ वीरांगनाओं ने मुख्यमंत्री को कारगिल विजय दिवस के अवसर पर राज्य में शहीद सैनिकों को मिलने वाली अनुग्रह अनुदान राशि 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख करने, शहीद सैनिक के परिवारजनों को सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने की अवधि को 02 साल से बढ़ाकर 05 वर्ष, शहीदों के आश्रितों को जिलाधिकारी कार्यालयों में समूह ‘ग’ और समूह ‘घ’ के अलावा अन्य विभागों में भी इन पदों पर भी नियुक्ति प्रदान करने के साथ ही सैनिक कल्याण विभाग में कार्यरत संविदा कर्मियों को उपनल कर्मियों की भांति अवकाश प्रदान करने के घोषणा के प्रति उनका आभार व्यक्त कर सम्मानित भी किया गया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से युद्ध में वीरगति को प्राप्त होने वाले सेना और अर्द्धसैन्य बलों के जवानों के एक आश्रित को उनकी शैक्षिक योग्यता के अनुसार राज्याधीन सेवाओं में नौकरी दी जा रही है। अभी तक 17 सैनिक आश्रितों को राज्याधीन सेवाओं में नौकरी दी गई है। उत्तराखंड एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां वीरता पुरस्कार से अलंकृत सैनिकों को एकमुश्त वार्षिक राशि का जीवन पर्यन्त भुगतान किया जाता है। विशिष्ट सेवा पदक पुरस्कार से अलंकृत सैनिकों की एकमुश्त राशि बढ़ाई गई है। द्वितीय विश्व युद्ध के पूर्व सैनिक व युद्ध विधवाओं को प्रतिमाह देने वाले अनुदान को 08 हजार से बढ़ाकर 10 हजार किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सेना ने हमेशा अदम्य साहस औऱ वीरता का परिचय दिया है। हमारी सेना के शौर्य और पराक्रम का इतिहास है। उत्तराखण्ड देवभूमि के साथ वीरभूमि भी है। उत्तराखण्ड से प्रत्येक परिवार सैनिक पृष्ठभूमि से जुड़े हैं। उत्तराखंड के सैनिकों और सैन्य परिवारों की ओर से दिये गये योगदान को शब्दों से बयां करना मुश्किल है। शीघ्र ही भव्य सैन्य धाम का भी लोकार्पण किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा सेना का मनोबल बढ़ाने का कार्य किया है। होली, दीपावली और कोई विशिष्ट दिन हो तो सेना के बीच में जाकर उनके साथ मनाते हैं। उनके नेतृत्व में सेना के मनोबल बढ़ाने का कार्य हो रहा है। वन रैंक वन पेंशन से सैनिकों का मनोगल बढा है। हमें अपनी भारतीय सेना पर गर्व है, जिनकी वजह से देश सुरक्षित है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक बताया है। हम राज्य को देश के अग्रणी राज्यों में सामिल करने के लिये प्रयासरत है। नीति आयोग की ओर से जारी सतत विकास लक्ष्यों में उत्तराखण्ड को देश में प्रथम स्थान मिला है। इसे बनाये रखना हमारे लिए चुनौती भी है, जिन इन्डीकेटर पर राज्य को और सुधार की आवश्यकता है, उनको भी बेहतर बनाने के प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य के समग्र विकास के लिए राज्य सरकार की ओर से निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने बांगलादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की घटना को दुःखद बताते हुए कहा कि ऐसे समय पर हमारे देश के कई लोग जाति पति के बंधन में उलझे हैं। जबकि यह समय हमारे लिये सामुहिक रूप से इस विषय पर चिन्तन करने का है। विश्व के कई देशों में होने वाली घटनाओं पर कैंडल मार्च निकालने वाले भी इस घटना के प्रति अनजान बने हैं। यह समय आपसी एकता का है। उन्होंने पूर्व सैनिकों से राष्ट्र जागरण के कार्य में भी सहयोगी बनने को कहा।
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि राज्य सरकार सैनिकों और उनके आश्रितों के लिए प्रदेश सरकार की ओर से अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित की गई है। द्वितीय विश्व युद्ध की अनुदान राशि, विशिष्ट सेना मेडल अवार्ड राशि में बढ़ोतरी और वीरता पदक पुरस्कार की एक मुश्त अनुदान राशि में भी कई गुना बढ़ोतरी की गई है।
इस अवसर पर जे. ओ. सी. एब एरिया मे.ज. प्रेम राज, निदेशक सैनिक कल्याण ब्रिगेडियर अमृत लाल, अध्यक्ष उपनल ब्रिगेडियर जे. एस. बिष्ट सहित बड़ी संख्या में सेना और पूर्व सैन्य अधिकारियों के साथ पूर्व सैनिक और वीरांगनायें उपस्थित थी।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार / प्रभात मिश्रा