शत्रु सम्पत्ति काबुल हाउस प्रशासन ने खाली कराया, कार्रवाई जारी
देहरादून, 02 नवंबर (हि.स.)। ईसी रोड स्थित काबुल हाउस को गुरुवार को स्थानीय प्रशासन ने खाली करा लिया है। शत्रु संपत्तियों के संबंध में जिलाधिकारी डा. सोनिका के आदेश सुनाए जाने के बाद काबुल हाउस में रह रहे 16 परिवारों को नोटिस जारी कर इस संपत्ति को खाली करने को कहा गया था, लेकिन कुछ परिवारों ने अभी तक इस संपत्ति को खाली नहीं किया गया था, जिन्हें हटा दिया गया है।
आज प्रात:काल जिले के आला अधिकारियों की टीम शत्रु संपत्ति को खाली कराने के लिए दल बल सहित पहुंची तो लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। यहां रहे रहे लोगों का कहना है कि वह यहां 100 साल से अपने परिवारों के साथ रह रहे हैं, 15 दिन का नोटिस देकर इस तरह उन्हें बेघर नहीं किया जा सकता है। प्रशासन ने उन्हें गलत तरीके से हटाया जा रहा है। उधर यहां रह रहे कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें 22 अक्टूबर को नोटिस दिया गया था और 2 नवंबर को उनके आवास जबरन खाली कराये जा रहे हैं।
एक परिवार का तो यह भी कहना है कि उनके परिवार में 11 नवंबर को बेटी की शादी होनी है, जिसकी तैयारी में परिवार लगा हुआ था। शादी की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, इसलिए प्रशासन को मानवीय आधार पर उन्हें बेटी की शादी तक यहां से हटने के लिए थोड़ा समय दिया जाना चाहिए था। ऐसे में अब वह अपने परिवार को लेकर कहां जाएं और वह किस तरह बेटी की शादी कर सकेंगे। कुछ लोग क्षेत्रीय विधायक व सरकार से भी अपील करते दिखे कि उन्हें थोड़ा सा और समय दिया जाए वह संपत्ति खाली करने से मना नहीं कर रहे हैं।
उधर सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह का कहना है कि उन्होंने 15 दिन पहले ही इन सभी परिवारों को नोटिस भेज कर आगाह कर दिया गया था। जो भी कार्रवाई की जा रही है, वह नियम कानून संवत तरीके से ही की जा रही है। काबुल हाउस में 16 परिवार रह रहे हैं जो वाल्मीकि समाज के हैं।
उल्लेखनीय है कि 1897 में काबुल के राजा मोहम्मद याकूब रजा यहां आकर बस गए थे जो 1947 में भारत पाक विभाजन के समय काबुल हाउस छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे। शत्रु संपत्तियों को सरकार में निहित करने की कार्रवाई के तहत अभी 16 दिन पहले डीएम देहरादून द्वारा इस संपत्ति को खाली करने के आदेश दिए गए थे। काबुल हाउस खाली करने की कार्रवाई गतिमान थी। काबुल हाउस की यह सम्पत्ति सौ करोड़ से ऊपर की बतायी जा रही है। इस संदर्भ में भाजपा नेता इस्लामुद्दीन अंसारी ने काफी प्रयास किया और न्यायालय तक भी अपने सहयोगियों के साथ पहुंचे। उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद जिलाधिकारी सोनिका ने यह कार्रवाई की।
हिन्दुस्थान समाचार/ साकेती/रामानुज