प्रांत प्रचारक बोले, पहले उड़ाया जाता था सनातन त्योहारों का मजाक, आज पूरी दुनिया जानती है भारतीय पर्व का भाव

 




देहरादून, 23 मार्च (हि.स.)। उत्तराखंड के प्रांत प्रचारक डा. शैलेंद्र ने कहा कि एक समय ऐसा भी था, जब सनातन त्योहारों को लेकर मजाक उड़ाया जाता था। हिन्दू और हिन्दुत्व पर भी सवाल उठाए जाते थे, लेकिन आज पूरी दुनिया जानती है कि भारत के प्रत्येक उत्सव के पीछे एक ही भाव छिपा है, वह है बुराई से अच्छाई और असत्य पर सत्य की विजय।

देहरादून राजपुर मार्ग स्थित विश्व संवाद केंद्र की ओर से शनिवार को आयोजित होली मिलन समारोह में प्रांत प्रचारक ने कहा कि भारत उत्सव का देश है। यहां हर रोज कोई न कोई उत्सव होता है। अनेक महापुरुषों से जुड़ी कोई न कोई तिथि भी है, जिस दिन उन महापुरुषों का जन्म हुआ है। होली पर्व पर प्रकृति भी उल्लास मना रही होती है, होली का त्योहार भी ऐसा ही पर्व है। होली मिलन समारोह का रंगा-बिरंगा बैनर भी उसी प्रकार से है। उन्होंने कहा कि प्रकृति में भी परिवर्तन की बयार बह रही है। वैसे हिन्दू नववर्ष पर तो आर्थिक व्यवहार सुधरने के साथ अच्छे काम प्रारंभ हो जाते हैं। ऐसे में होली किसानों के लिए भी खास है। उन्होंने मथुरा वृंदावन और बुंदेलखंड का जिक्र करते हुए कहा कि वृंदावन में एकादशी और पूर्णिमा के दिन तो पैर रखने तक की जगह नहीं होती। यह कार्यक्रम प्रांत मीडिया संवाद प्रमुख बलदेव पाराशर की देखरेख में हुआ।

जौनसार में दीपावली से एक महीने बाद मनती है दीपावली, जानें क्यों?

इस बार सत्र में तो दो बार दीपावली मनाने का अवसर मिला। एक दीपावली के दिन और एक 22 जनवरी को, लेकिन यहीं पास में ही जौनसार में लोग दीपावली से एक महीने बाद दीपावली मनाते हैं। वो कहते हैं कि हम लोग जनजाति के हैं, हमारे यहां सूचना देर से पहुंची। इस पर उन्होंने कहा कि अब तो सूचना सही हो गई, लेकिन वास्तविक कारण है कि उस समय अदरक, मटर और ऐसे अनेक खेती के सीजन के कारण से समय ही नहीं रहता, मंडी में बेचकर पैसा आता है तो फिर उत्साह से त्योहार मनाते हैं। ऐसे में कहीं न कहीं इसके पीछे भी भाव है।

देव और दानव संस्कृति पर प्रकाश-

देव और दानव संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए बदायूं की घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मारकर खून पीने वाला राक्षस है। आगे उन्होंने हिरण्य कश्यप का जिक्र करते हुए कहा कि जो दूसरों को दुख देते हैं, परेशान करते हैं, दूसराें का कष्ट देखकर जिन्हें आनंद आता है, वही राक्षस है।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/रामानुज