त्रिदिवसीय आयुष्कामीय शिविर के दूसरे दिन हुई आयुर्वेद और जैविक कृषि पर चर्चा

 




हरिद्वार, 26 फरवरी (हि. स.)। चंडी घाट पर आयोजित आयुष्कामीय शिविर के दूसरे दिन सोमवार को आयुष विभाग द्वारा विशिष्ट आर्युवेदिक, युनानी, होम्योपैथिक, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विधाओं द्वारा आने वाले रोगियों की चिकित्सा की गई। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने स्वर्ण प्राशन आदि विशिष्ट चिकित्सा की प्रदर्शनी का आयोजन किया ।

गोष्ठी के सत्रों की अध्यक्षता दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक आशीष जी एवं विश्व विख्यात मर्म चिकित्सा विशेषज्ञ प्रो. सुनील जोशी, पूर्व कुलपति उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा की गई। विशिष्ट अतिथि के रूप में स्वामी अनंतानंद, कृष्णायन गौशाला बायो सीएनजी प्लांट, राजीव योगी जैविक कृषि विशेषज्ञ, डॉ सुशील शर्मा, वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ, राष्ट्रीय आयुष मिशन के नोडल अधिकारी डॉ. अवनीश उपाध्याय व शिविर प्रभारी डॉक्टर धनेंद्र वशिष्ठ उपस्थित रहे।

गोष्ठी में आशीष भैया ने कहा कि सभी चिकित्सा विधाओं का उद्गम वेद है। आयुर्वेद में वर्णित पंचकोषों का चिकित्सा में विशेष महत्व है। उन्होंने आगे कहा कि योग और आयुर्वेद में चिकित्सा का मूल मंत्र है। अपने पंचतत्व से जुड़ना, पंचतत्व से खेल कर हम अपने शरीर और मन को स्वस्थ रख सकते हैं।

प्रोफेसर सुनील जोशी ने कहा कि आयुर्वेद के महान वैज्ञानिकों द्वारा प्रदत्त मर्म चिकित्सा पद्धति से हम तीव्र ज्वर की अवस्था में भी आराम दिला सकते हैं। शरीर में उपस्थित 107 मर्म बिंदु से संपूर्ण शरीर की चिकित्सा की जा सकती है। उन्होंने बताया कि ऐसे स्थान पर जहां तत्काल आकस्मिक चिकित्सा उपलब्ध न हो वहां मात्र तल हृदय पर दबाव डालकर हम हृदय आघात तक की अवस्था को रोक सकते हैं। डॉ. राजीव योगी ने बताया कि जब हमारा अन्न जिसका हम सेवन करते हैं वह विष मुक्त होगा तभी हमारा शरीर स्वस्थ होगा।

डॉ. अवनीश उपाध्याय ने आयुर्वेद और योग के विभिन्न विषयों पर प्रकाश डाला और किस प्रकार हम जीवन शैली आधारित बीमारियों को आने से रोक सकते हैं उसके विषय में विस्तृत चर्चा की।

स्वामी अनंतानंद ने कहा कि आयुर्वेद की एक्यूप्रेशर और मर्म चिकित्सा पद्धति से हम बहुत सारी बीमारियों को ठीक कर सकते हैं। आज के शिविर में डिवाइन कॉलेज के डॉक्टर सुनील श्रीवास्तव व जिला आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा अधिकारीडॉ. स्वस्तिक सुरेश, डॉ धनेंद्र वशिष्ठ, डॉ विकास दुबे, डॉ. वीरेंद्र सिंह रावत, डॉक्टर चेतन स्नेही, डॉक्टर श्रवण कुमार त्रिपाठी, डॉ नवीन दास, डॉक्टर सुषमा, डॉक्टर फराज खान, डॉ. भगत सिंह, डॉक्टर दीपा देवी हाथी द्वारा आयुर्वेदिक होम्योपैथिक और यूनानी चिकित्सा दी गई।

हिन्दुस्थानसमाचार/रजनीकांत/रामानुज