समस्याओं को लेकर डिप्लोमा इंजीनियर्स आन्दोलन को बाध्य, बनाई रणनीति
देहरादून, 03 मार्च (हि.स.)। डिप्लोमा इंजीनियर्स, ग्रामीण निर्माण विभाग, उत्तराखंड के प्रांतीय व जनपद देहरादून के पदाधिकारियों एवं सदस्यों की बैठक रविवार को संगठन भवन मोहकमपुर में हुई। बैठक में चार मार्च को प्रस्तावित एक दिवसीय धरना की तैयारियों पर चर्चा हुई। साथ ही देहरादून के सदस्यों एवं पदाधिकारियों को आन्दोलन की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी दी गई।
शासन गंभीर नहीं, उच्चाधिकारियों की कार्यप्रणाली प्रश्नचिह्न-
संघ के प्रांतीय अध्यक्ष इं. सुरेश चंद्र जोशी ने कहा कि लगातार वार्ता एवं पत्राचार के बाद भी शासन संघ की समस्याओं के समाधान के प्रति गंभीर नहीं है। ऐसे में संघ आन्दोलन को बाध्य है। महासचिव इं. चितरंजन जोशी ने बताया कि डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ ग्रामीण निर्माण विभाग उत्तराखंड के सदस्य अपनी आठ सूत्रीय मांगों के निराकरण न होने पर आन्दोलनरत हैं। अतिरिक्त महासचिव इं. रमेश थपलियाल ने कहा कि शासनादेश के बाद भी विभागीय उच्चाधिकारियों की कार्यप्रणाली प्रश्नचिह्न है।
प्रमुख मांग-
डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ की समस्याओं में उत्तराखंड सरकार के मंत्री सतपाल महाराज के घोषणा के बाद भी विभागीय ढांचे के पुर्नगठन का प्रस्ताव प्रेषित न किया जाना, सचिव की सहमति के बाद भी पीएमजीएसवाई के मार्गों के रख-रखाव का कार्य विभाग को सौंपे जाने का प्रस्ताव प्रेषित न किया जाना, वर्ष 1995, 2004 तथा 2018 में नियुक्त अभियन्ताओं का वेतन निर्धारण न किया जाना, तीन वर्ष पूर्व पदोन्नत सहायक अभियन्ताओं का स्थायीकरण न किया जाना, वर्ष 2018 में नियुक्त पात्र कनिष्ठ अभियन्ताओं को तीन वर्ष की सेवा के उपरान्त अपर सहायक अभियन्ता के पद पर पदोन्नति न देना, विभाग में कनिष्ठ अभियन्ता (प्रा.) की अपर सहायक अभियन्ता (प्रा.) के पद पर पदोन्नति के लिए नियमावली न बनाया जाना, शासनादेश के अनुरुप सहायक अभियन्ता का वाहन भत्ता अनुमन्य न किया जाना, विद्युत के एक लाख से अधिक के निर्माण कार्यों के सम्पादन में हो रही व्यावहारिक परेशानियों के दृष्टिगत निर्गत आदेशों पर पुर्नविचार न किया जाना आदि मुख्य हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण /प्रभात