वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए मुख्यमंत्री ने दिए कड़े निर्देश
वनाग्नि पर मुख्यमंत्री ने दिए कड़े निर्देश
देहरादून, 05 मई (हि.स.)। वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं ने सरकार तथा वन विभाग के माथे पर बल ला दिया है। दोनों ओर से इस अव्यवस्था पर अंकुश लगाने के प्रयास हो रहे हैं। लेकिन वनाग्नि बुझ नहीं पा रही है।
प्रदेश में बीते कई दिनों से वनाग्नि की घटनाओं ने दिल दहला कर रख दिया है। इससे सैकड़ों हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो चुके हैं, जिसमें कई लोगों की मौत भी हो चुकी। लेकिन अब तक वनाग्नि की घटनाओं पर पूर्णतया अंकुश नहीं लग पाया है। कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक जंगलों की आग आय दिन रफ्तार पकड़ रही है। हालांकि शासन प्रशासन लगातार आग बुझाने का प्रयास कर रहा है। लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहा है।
इसी संदर्भ में प्रमुख वन संरक्षक वन्य जीव उत्तराखंड समीर सिन्हा ने माना कि बढ़ती वनाग्नी की घटनाओं के चलते वन्य जीव भी खतरे की जद में आने लगे हैं हालांकि प्रदेश में अब तक वन्य जीवों की छति की कोई सूचना नहीं है लेकिन अगर जंगलों की आग ऐसी ही बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब वन्य जीवों के मौत की खबर भी सुर्खिया बटोरने लगेगी।
प्रमुख बन संरक्षक वन्यजीव ने कहा की प्रदेश में वनाग्नी की घटनाएं बीते कई दिनों से जरूर देखने को मिल रही है लेकिन अब तक वन्य जीवों के नुकसान का कोई भी आंकड़ा दर्ज नहीं हुआ है हालांकि जिन क्षेत्रों में वनाग्नी की घटनाएं दर्ज हो रही है उन क्षेत्रों में यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जल की पर्याप्त उपलब्धता रहे ताकि वनाग्नि की घटनाओं के चलते वन्य जीवों को जल की पर्याप्त मात्र मिल सके साथ ही इस दौरान वन्यजीवों के संरक्षण के लिए तमाम कदम भी उठाए जा रहे हैं।
इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को मुख्य सचिव को दूरभाष पर निर्देश दिए हैं कि जिलाधिकारियों को एक सप्ताह तक प्रतिदिन वनाग्नि की निरंतर मॉनिटरिंग करने के निर्देश तत्काल जारी किए जाए। उन्होंने जिलाधिकारियों को सभी प्रकार के चारे को जलाने पर तत्काल प्रभाव से एक सप्ताह के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही शहरी निकायों को भी अपने ठोस कूड़े को वन या वनों के आसपास जलने पर प्रतिबंधित करने के निर्देश दिए गए हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/ साकेती/रामानुज