बंड मेला : जाग नंदा ह्यूं का हिंवाला, जाग नंदा ऊंचा हिंवाला..

 


-हेमा करासी के जागरो पर थिरके बंड मेले में आये लोग

-लोकगायक अमित सागर ने भी दी अपनी गीतों की प्रस्तुति

गोपेश्वर, 25 दिसम्बर (हि.स.)। बंड मेले के छठवें दिन सोमवार को मेले की शुरुआत लोकनायक अमित सागर ने जय धारी देवी मां... से कार्यक्रम की शुरुआत की। लोक गायिका और जागर गायिका हेमा नेगी करासी नें जय बद्री विशाल की स्तुति के बाद जाग नंदा ह्यूं का हिंवाला, जाग नंदा ऊंचा हिंवाला.. गीत से पूरे बंड मेले को नंदामय बना दिया। हेमा नेगी के मां नंदा के गीत पर पूरा पंडाल झूम उठा। इसके बाद गिर गेन्दुवा.., कंचनी कैलाशों, अमराऋबान, मेरी बामणी, गुडडू का बाबा, भीमू हे , मोहना गेल्या, गीतो की शानदार प्रस्तुति दी।

चमोली में एक मेडिकल कॉलेज खुलना चाहिए : राजेन्द्र भंडारी

-बंड मेले को तीन लाख रुपये देने की घोषणा

बंड मेले के छठवें दिन मुख्य अतिथि बदरीनाथ विधायक राजेन्द्र भंडारी ने कहा की मेले आपसी मिलन के केंद्र हैं। बेहद कम समय में बंड मेले ने अपनी अलग पहचान बनाई है। मेलों से सर्वांगीण विकास होता है। मेलों के आयोजन से प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर मिलता है। भंडारी ने कहा की चमोली में एक मेडिकल कॉलेज खुलना चाहिए जिससे सीमांत के लोगो को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें। उन्होंने कहा कि मेले विकास की सीढ़ी है।

भंडारी ने बंड मेले को तीन लाख रुपए देने की घोषणा की। उन्होंने टीएचडीसी के दिन बंड क्षेत्र के आठ गांवों को चारापत्ती देने को कहा। साथ ही टीएचडीसी को अंग्रेजी माध्यम का स्कूल खोलने की मांग की।

इस अवसर बंड विकास संगठन के अध्यक्ष अतुल शाह, पूर्व अध्यक्ष शम्भू प्रसाद सती, संरक्षक विजय मलासी, महामंत्री हरेंद्र पंवार, हरीश पुरोहित, हरिबोधनी खत्री, पीसीसी अध्यक्ष अरविंद नेगी, सुदर्शन शाह, गजेंद्र राणा, मनोज कुमार, हरिदर्शन रावत, रविन्द्र नेगी विधायक प्रतिनिधि सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

मेले में आयोजित हुआ कवि सम्मेलन-

बंड मेले के 6वें दिन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें विभिन्न कवियों नें अपनी बेहतरीन प्रस्तुति से मन मोहा। कवि अवनीश मलासी ने तिरंगे में जो आये हो तुम्हारी शान जिंदा है, तुम्हारी वीरता वाली वही पहचान जिंदा है। तुम्हारे सांस लेने से तिरंगा लहलहाता था, तुम्हारे प्राण देने से ये हिन्दोस्तान जिंदा है..., कवि सागर डंगवाल ने उसे भरम है वह चुटकियों में बहला लेगी मुझे, भरम तोड़ते हैं चुटकियां बजाई जाए.., सौ गज में सिमट गए अब हम, ये गांव वाला घर नहीं है। कवि धर्मेन्द्र उनियाल ने मैं झूला तो खरीद लाया हूं मगर आंगन में शजर नहीं है.., कवियत्री शशी देवली नें अपनें लहू के एक एक कण से मैं जय जवान जय किसान लिखूंगी, मैं ऐसा हिंदुस्तान लिखूंगी.., जसवीर सिंह हलधर नें देश के ध्वज का हमेशा मान होना चाहिए..., कवि रजा तिवारी ने रात है ये जवां तन्हा कैसे रहूं ..कविताओं के जरिए लोगो को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि सम्मेलन का संचालन धर्मेन्द्र उनियाल धर्मी ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार/जगदीश/रामानुज