अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के अधिकारियों की जमानत याचिका खारिज

 


-एक साल से अधिक समय से जेल में बंद है तीनों अधिकारी

देहरादून, 09 नवंबर (हि.स.)। अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के अधिकारियों को परीक्षा में धांधली के आरोप में हुई गिरफ्तारी पर जमानत नहीं मिली है। उच्च न्यायालय नैनीताल में गुरुवार को इनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।

यह जानकारी एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने दी। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा वर्ष 2016 में आयोजित की गयी ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की परीक्षा में हुई धांधली के सम्बन्ध में सतर्कता सेक्टर देहरादून में मु०अ०सं० 1/20 धारा 420, 465, 467, 468, 471, 201409, 120बी भादवि व 13 (1) डी सपठित 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1968 का अभियोग पंजीकृत किया गया था। इस मुकदमे कि विवेचना सितम्बर 2022 में उत्तराखंड शासन द्वारा एसटीएफ को स्थानान्तरित की गयी थी।

एसटीएफ ने मुकदमे की विवेचना में साक्ष्य एकत्र करते हुए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष रघुबीर सिंह रावत, तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल एवं तत्तकालीन परीक्षा नियंत्रक राजेन्द्र सिंह पोखरिया को गिरफ्तार किया गया था। ये तीनों ही अधिकारी पिछले एक वर्ष से अधिक समय से जेल में निरुद्ध हैं। इन तीनों अधिकारियों की पूर्व में विजिलेंस कोर्ट देहरादून द्वारा जमानत प्रार्थना पत्र खारिज किया गया था, जिसके पश्चात उपरोक्त तीनों अधिकारियों द्वारा उच्च न्यायालय नैनीताल में जमानत याचिका लगाई गयी थी।

इनकी जमानत याचिका का विरोध में एसटीएफ ने मुकदमे के विवेचना में अभियुक्तों के विरुद्ध एकत्रित किए गए साक्ष्यों को उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर तीनों अभियुक्त की जमानत याचिका का पुरजोर विरोध किया गया था, जिस पर उच्च न्यायालय ने एसटीएफ के द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों का अवलोकन करने के पश्चात 9 नवंबर को उक्त तीनों अधिकारियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ ने यह भी बताया कि परीक्षा धांधली से जुड़े सभी मामलों में एसटीएफ भिन्न भिन्न न्यायालयों में प्रभावी पैरवी कर रही है, जिसके परिणाम स्वरूप ऐसे सभी अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जा सकेगी।

हिन्दुस्थान समाचार/ साकेती/रामानुज