गैरसैंण में उपवास पर बैठे आंदोलनकारी, उठाई स्थायी राजधानी, मूल निवास व भू-कानून की मांग

 


गोपेश्वर, 20 अगस्त (हि.स.)। भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के बैनर तले आंदाेलनकारी चमोली जिले के गैरसैंण स्थित रामलीला मैदान पर मंगलवार से भू-कानून, स्थायी राजधानी और मूल निवास 1950 की मांग को लेकर उपवास शुरू कर दिया है।

समिति के केंद्रीय संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि विधानसभा सत्र में सरकार को मूल निवास 1950, स्थायी राजधानी गैरसैंण और मजबूत भू-कानून का प्रस्ताव पारित करना चाहिए। पहाड़ के अस्तित्व बचाने के लिए सभी लोगों को एकजुट करने का अभियान जारी रहेगा। समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट और राज्य आंदोलनकारी संगठन के अध्यक्ष हरेंद्र सिंह कंडारी ने कहा कि अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का समय आ गया है, तभी सरकार की नींद टूटेगी। गैरसैंण के नाम पर सैर-सपाटा बंद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी लोग दलगत राजनीति छोड़कर एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ें।

युवा नेता मोहन भंडारी और समिति संयोजक जसवंत सिंह बिष्ट ने कहा कि आज पहाड़ियों का वजूद पहाड़ी राज्य में खतरे में है। पहाड़ बचाने के लिए राजधानी पहाड़ी में बननी जरूरी है। बाहर के लोग जमीन न खरीद पाए, इसके लिए कड़े कानून बनने चाहिए। मूल निवास 1950 का अधिकार देकर यहां के लोगों को नौकरियों में पहला अधिकार मिलना जरूरी है। इन मांगों को पूरा नहीं किया गया तो उत्तराखंड आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन शुरू होगा। इस दाैरान लक्ष्मण खत्री, पृथ्वी सिंह बिष्ट, दिवान राम, वीएस बुटोला आदि मौजूद थे।

हिन्दुस्थान समाचार / जगदीश पोखरियाल / कमलेश्वर शरण