साल के अंतिम बुध प्रदोष पर शिवालयों में सजी झांकी

 


जयपुर, 17 दिसंबर (हि.स.)। वर्ष 2025 के अंतिम बुध प्रदोष व्रत पर श्रद्धालुओं ने प्रथम पूज्य गणेश जी और भगवान भोलेनाथ का पूजन किया। चौड़ा रास्ता स्थित ताडक़ेश्वर जी, बनीपार्क के जंगलेश्वर महादेव जी, झोटवाड़ा रोड के चमत्कारेश्वर, वैशालीनगर के झारखंड महादेव सहित अन्य सभी शिव मंदिरों में प्रदोष पर भक्तों ने भगवान भोलेनाथ का पूजन किया। प्रदोष व्रत को धर्म शास्त्रों में अत्यंत पुण्यदायी और फलदायी माना गया है। यह प्रत्येक माह कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है।

ज्योतिषाचार्य पं. सुरेन्द्र गौड़ ने बताया कि पौष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 16 दिसंबर की रात्रि 11:58 बजे प्रारंभ हो गई थी जो कि 18 दिसंबर की रात्रि 02.33 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के आधार पर प्रदोष व्रत 17 दिसंबर को मनाया गया। बुधवार को सर्वार्थ सिद्धि योग एवं अमृत सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग बना। इसे ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत शुभ और मंगलकारी बताया गया है। इन विशेष योगों में की गई पूजा-अर्चना का दोगुना फल प्राप्त होने की मान्यता है। बुधवार होने के कारण इस दिन भगवान गणेश की पूजा का भी विशेष महत्व रहा। श्रद्धालुओं ने सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण किए और गणेशजी के समक्ष दीप प्रज्वलित कर अथर्वशीर्ष का पाठ किया। गणेशजी को सुपारी, इलायची, मोदक तथा दूर्वा अर्पित की गई।

शाम को प्रदोष काल में श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर जल एवं कच्चे दूध से अभिषेक किया तथा तिल के तेल का चौमुखा दीपक प्रज्वलित कर ओम नमः: शिवाय’ मंत्र का जाप किया। इस दौरान शिव मंदिरों में विशेष पूजा, जप और दान किया गया। मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश