शीतला माता को लगाया ठंडे पकवानों का भोग : मंदिर में दर्शनों को उमड़ी देवी भक्तों की भीड़

 


जोधपुर, 02 अप्रैल (हि.स.)। पारिवारिक माहौल में शीतलता एवं बच्चों को चर्म संबंधी बीमारियों से संरक्षण की मनौती से जुड़ा शीतलाष्टमी पर्व मंगलवार को मनाया गया। शीतलाष्टमी पर मंगलवार को शीतला माता के दर्शनों के लिए कागा तीर्थ स्थल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पड़ी। इस अवसर पर घर-घर में शीतला माता की पूजा-अर्चना हुई और सौभाग्यवती महिलाओं ने पति और पुत्र की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की। मान्यता के अनुरूप सुबह शीतला माता की पत्थर पर मूर्ति बनाई गई और इसके बाद पूजन किया गया। बच्चों को शीतला माता के समक्ष धोक लगवाई गई। ऐसी आस्था है कि शीतला माता की धोक लगाने से बच्चे स्वस्थ रहेंगे।

शीतलाष्टमी पर घरों में शीतला माता, ओरी माता, अचपड़ाजी एवं पंथवारी माता का प्रतीक बनाकर पूजन किया गया। खास बात यह है कि आज के दिन माता शीतला को शीतल और एक दिन पहले पकाए गए पकवानों का भोग लगाया गया। कुछ घरों में सूर्योदय से पूर्व पूजा हुई तो कई परिवारों ने सूर्योदय के बाद शीतला माता की विधिवत पूजा की। वहीं कागा तीर्थ स्थल में मां शीतला के मंदिर में सुबह से भीड़ पडनी शुरू हो गई। मंदिर के कपाट खुलते ही लोग शीतला माता की पूजा-अर्चना में जुट गए। दिन चढने के साथ लोगों की भीड़ बढ़ती गई। केवल जोधपुर ही नहीं बल्कि दूर-दराज के लोग भी माता के दर्शन करने पहुंचे। शीतला माता पूजन पूरे भारत में केवल जोधपुर में चैत्र कृष्ण पक्ष की सप्तमी के बजाय दूसरे दिन अष्टमी के दिन किया जाता है। इसका प्रमुख कारण विक्रम संवत 1826 में सप्तमी के दिन जोधपुर के तत्कालीन महाराजा विजयसिंह के महाराज कुमार की मृत्यु होने से जोधपुर सहित मारवाड़ के विभिन्न क्षेत्रों में अकता रखने की परम्परा है।

अच्छे स्वास्थ्य की कामना की

श्रद्धालुओं ने मां शीतला के समक्ष शीश नवाकर पारिवारिक सदस्यों के व्यवहार में शीतलता व शिशुओं को ओरी-अचपड़ा सहित चर्म संबंधी बीमारियों से संरक्षण प्रदान करने की मनौती मांगी। कई महिलाओं ने शिशुओं को माता के चरणों में लिटाकर चरणामृत पिलाया। रंग-बिरंगे पारम्परिक परिधान पहने महिलाएं मंगल गीत गाते हुए शीतला माता के मंदिर पहुंची। मंदिर के बाहर लोगों का हुजूम नजर आया। वहीं घरों में शीतला माता, ओरी माता, अचपड़ा एवं पंथवारी माता का प्रतीक बनाकर पूजन किया गया। पूजन के दौरान एक दिन पूर्व घरों में बनाए गए पकवानों का भोग लगाकर घर के सभी बतौर प्रसादी ठंडा ग्रहण किया। अधिकांश घरों में शीतलाष्टमी को चूल्हा नहीं जला। यहां तक की दूध व चाय भी नहीं पी गई। कैर-सांगरी का पंचकूटा, चावल, मिष्ठान, कर्बा, कढ़ी, दही-राबड़ी, पूडियां, पापड़, मठरी, सिलवड़े, खीचिए, गुलगुले, खाजा, कांजी बड़े, तली हुई खाद्य वस्तुएं और कई नमकीन व्यंजन खाए गए।

शहर के साथ गांवों से भी आई गेर

इधर कागा की पहाडिय़ों में स्थित मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं की दर्शनार्थ भीड़ रही। सुबह से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। इसके साथ ही यहां कई गेरें भी आई। शहर के अलावा आसपास के गांवों से भी श्रद्धालु गेर लेकर आए। वे चंग की थाप पर नाचते-गाते आए। कई लोगों ने स्वांग भी रचा रखा था। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से फाग गीतों पर झूमती टोलियों के मंदिर पहुंचने का क्रम दिनभर जारी रहा। मंडोर एवं महामंदिर क्षेत्र के गेर के सदस्य विशेष वेशभूषा पहने तथा पैरों में घुंघरू एवं ढोल पर नाचते गाते मेले में पहुंचे।

मेले में सुरक्षा के कड़े इंतजाम

कागा तीर्थ पर चल रहे मेले में मंदिर ट्रस्ट की ओर से विशेष इंतजाम किए गए है ताकि यहां आने वाले लोगों को किसी तरह की परेशानी ना उठानी पड़ी। दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन की तरफ से भी सुरक्षा के मद्देनजर पुख्ता इंतजाम किए गए है। शीतला माता (कागा तीर्थ) ट्रस्ट के अध्यक्ष निर्मल कच्छवाहा ने बताया कि पर्याप्त संख्या में पुलिस के जवान मंदिर के आसपास मौजूद है जिससे कि असमाजिक तत्वों पर नजर रखी जा सके। मंदिर ट्रस्ट की ओर से दर्शनार्थियों के सुगम दर्शन की व्यवस्था के लिए स्वयंसेवक तैनात किए गए है।

दर्शनों की अलग-अलग व्यवस्था

प्रवक्ता कुलदीप गहलोत ने बताया कि मन्दिर परिसर को प्लास्टिक मुक्त रखा गया है और दर्शनार्थियों के सहूलियत के लिए 24 घंटे दर्शन की व्यवस्था रहेगी। मेले के दौरान महिलाओं-पुरुषों के लिए अलग-अलग दर्शन की व्यवस्था रहेगी। मंदिर की सीढियों से निकासी द्वार तक जगह-जगह क्लोज सर्किट कैमरे से नजर रहेगी। मंदिर में 35 पुजारी की टीम दो घंटे के अवधि में बारी-बारी से सेवाएं देगी। वहीं सुरक्षा के लिहाज से मंदिर परिसर में सुरक्षा गार्ड और 60 हाई क्वालिटी के कैमरे भी लगवाए गए हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए बेरिकेडिंग भी की गई है। इसके अलावा पीने के पानी के लिए आरओ प्लांट भी लगाया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/सतीश/ईश्वर