वेदों के हिन्दी भाष्य के लिए डॉ. वशिष्ठ सम्मानित
नई दिल्ली/जयपुर, 19 सितंबर (हि.स.)। पद्म विभूषित श्रीपाद दामोदर सातवलेकर द्वारा प्रणीत वेदों के हिंदी भाष्य के तृतीय संस्करण के कार्य के लिए सहायक आचार्य डॉ. दीपक वशिष्ठ को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने सम्मानित किया। कार्यक्रम बुधवार को दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित किया गया। डॉ. वशिष्ठ राजस्थान के सिरोही जिले के रहने वाले हैं और वर्तमान में लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के वस्तुशास्त्र विभाग में कार्यरत हैं।
कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि वेद भौतिक और आध्यात्मिक ज्ञान की निधि व अखिल ब्रह्माण्ड के मूल हैं। वे सारी दुनिया को जोडने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि वेद और भारत दोनों एक ही हैं। वे सनातन धर्म का आधार है। वेदों में ज्ञान, विज्ञान, गणित, धर्म, चिकित्सा और संगीत की भी प्रचुरता है। उन्होंने कहा कि वेदों के मंत्रों में अंक गणित, घन और घनमूल के सिद्धांतों का भी स्पष्ट उल्लेख हैं। वेदों में समस्त विश्व के कल्याण की बात निहित हैं।
कार्यक्रम की प्रस्तावना में बताया कि स्वाध्याय मंडल पारडी, गुजरात तथा दिल्ली स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद अध्ययन केंद्र द्वारा श्रीपाद दामोदर सातवलेकर द्वारा भाष्यकृत इन चारों वेदों के 8 हजार पृष्टों के प्रकाशन में 10 वर्षो की अथक मेहनत लगी है। इस पुण्य कार्य में लगे विद्वानों व उनके सहयोगियों को इस अवसर पर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में देश के अनेक साधु संत, संघ, विश्व हिंदू परिषद के साथ अनेक धार्मिक, सामाजिक व संस्कृतिक संगठनों के पदाधिकारियों सहित समाज के अनेक गणमान्य लोग व मातृ शक्ति उपस्थित थीं।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक