भारतीय सिन्धु सभा का दो दिवसीय मातृ शक्ति सम्मेलन : ज्वलन्त मुद्दों पर हुआ मंथन,11 सूत्रीय प्रस्ताव पारित
भीलवाड़ा, 3 मार्च (हि.स.)। यदि हम संगठित होकर समाज की कमियों को दूर करने का प्रयास करेंगे तो हम निश्चित ही पुरातन सांस्कृतिक गौरव को पुनः प्राप्त कर सकेंगे। वृद्धाश्रम बनाना अच्छी परम्परा नहीं है। भारतीय सिन्धु सभा का विचार सनातन का विचार है। इसे घर-घर पहुंचाना है। यह आशीर्वचन महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने हरिशेवा धाम उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा में भारतीय सिन्धु सभा के तत्वावधान में दो दिवसीय राज्य स्तरीय मातृशक्ति सम्मेलन के समापन समारोह के अवसर पर प्रदान किये। साथ ही उन्होंने देश, सनातन व कुटुम्ब की रक्षा करने का वचन लिया।
अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष भगतराम छाबड़ा ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि सिन्धु सभा का गठन 1979 में किया गया। सिन्ध के गौरवमयी इतिहास को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्धेश्य से सभा की ओर से निरन्तर कार्यक्रम किये जा रहे है। जहां पर भी समाज के 100 परिवार निवास करते है वहां इकाई का गठन कर समाज को जोड़ा जा रहा है। कार्यक्रम में कुटुम्ब प्रबोधन प्रभारी रविन्द्रकुमार जाजू ने विचार प्रकट करते हुए कहा कि संयुक्त परिवार से संस्कारों के साथ सुरक्षित भी रह सकते है। उन्होंने कहा कि यदि भोजन-भजन, भाषा-भूषा, भवन-भ्रमण (धार्मिक) परिष्कृत हो तो समाज संस्कारवान बनेगा। संत मयाराम, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत अध्यक्ष चांदमल सोमानी के साथ सभा के क्षेत्रीय पालक अधिकारी मनोज कुमार, संघ के सह प्रांत प्रचारक मुरलीधर, प्रांत कार्यवाहक डाॅ. शंकरलाल माली, विभाग प्रचारक दीपक कुमार, सावित्री दीदी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्रकुमार तीर्थाणी, प्रदेश सरंक्षक सुरेश कटारिया की उपस्थिति रही।
संभाग प्रभारी वीरूमल पुरूसवाणी ने बताया कि इससे पूर्व प्रातःकालीन सत्र योग एवं प्रार्थना-सभा के साथ प्रारम्भ हुआ। तत्पश्चात् विभिन्न विषयों पर विचार विमर्श किया गया। महिला प्रदेशाध्यक्ष शोभा बसंताणी ने लाभकारी राजकीय योजनाओं, वंदना वजीरानी ने बालिकाओं में आत्म रक्षा की आवश्यकता और लव जिहाद, राष्ट्रीय अध्यक्ष (महिला) विनीता भावनाणी ने सनातन संस्कृति के महत्व, कोकिला नारवाणी ने मातृ शक्ति का धार्मिक जुड़ाव, सुनीता नानकाणी ने बालिकाओं में शिक्षा के साथ संस्काराओं की आवश्यकता, पल्लवी वच्छाणी ने धार्मिक स्थल पर मर्यादित आचरण पर अपने विचार व्यक्त किये।
द्वितीय सत्र में भारतीय सिन्धु सभा के ईश्वर मोरवाणी, कैलाश शिवलाणी, मूलचंद बसंताणी, विष्णुदेव सामताणी, नवलकिशोर नवलाणी, कमल राजवाणी, इन्द्र रामाणी ने संगठन की कार्यप्रणाली, संगठन से जुड़ाव, सक्रियता, बाल संस्कार शिविर आदि पर चर्चा की। तथा अंत में मोहनलाल वाधवानी ने दो दिवसीय चर्चा के सार स्वरूप सामाजिक कुरीतियों के उन्नमूलन एवं सांस्कृतिक गौरव के विकास हेतु 11 सूत्रीय प्रस्ताव रखा जिसे सदन द्वारा सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
इस दो दिवसीय सम्मेलन में प्रदेश के विभिन्न जिलो सें गुरूयाणी, मुख्याणी, न्याणी व संगठनो के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। भीलवाड़ा की माता पारो, बहन भगवन्ती, मुख्याणी भये माँ, लीलादेवी पंजवाणी, कलादेवी सखराणी, पार्षद इन्दु बंसल, पार्षद रोमा लखवाणी हरीशेवा संस्थान के पदाधिकारी - ट्रस्टीगण, प्रबुद्धजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल एवं गरिमामयी बनाने हेतु भारतीय सिन्धु सभा भीलवाड़ा इकाई के परमानंद गुरनाणी, ईश्वर कोडवाणी, किशोर लखवाणी, ओम गुलाबाणी, किशोर कृपलाणी, पुरूषौत्तम परियाणी, हीरालाल गुरनाणी, धीरज पेशवाणी, इन्दिरा गांधी, गिरिश गांधी, परमानन्द तनवाणी, गंगाराम पेशवाणी, सुगनामल कलवाणी आदि का सक्रिय सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन बबिता नारवाणी ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित