जयपुर टाइगर फेस्टिवल: डॉ. रीला होता ने ओडिसी नृत्य में दर्शाया पर्यावरण संरक्षण का महत्व
जयपुर, 13 दिसंबर (हि.स.)। जवाहर कला केन्द्र में जारी जयपुर टाइगर फेस्टिवल में प्रतिदिन कला एवं संस्कृति के विभिन्न रंग देखने को मिल रहे। राजस्थान हेरिटेज, आर्ट एंड कल्चरल फाउंडेशन द्वारा, जवाहर कला केन्द्र की सहभागिता में आयोजित फेस्टिवल का शनिवार को तीसरा दिन रहा। इस दिन की शाम शास्त्रीय नृत्य के सौंदर्य से सराबोर नजर आई, जहां प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना डॉ. रीला होता व समूह के कलाकार ने अपनी प्रस्तुति में पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इसमें राजस्थान के मुख्य सचिव श्री वी. श्रीनिवास ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इसी के साथ पर्यटन, कला एवं संस्कृति विभाग के अति. मुख्य सचिव प्रवीण गुप्ता, जेकेके की अतिरिक्त महानिदेशक प्रियंका जोधावत, राजस्थान हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. एस.एस अग्रवाल आदि गणमान्य लोग व बड़ी संख्या में मौजूद रहे। फेस्टिवल के अध्यक्ष संजय खवाड़, उपाध्यक्ष डॉ. सर्वेक्ष अग्रवाल और सचिव आनंद अग्रवाल, फाउंडर पैट्रन धीरेंद्र गोधा ने मुख्य सचिव वी. श्रीनिवास व अन्य अतिथियों को स्टॉल्स का विजिट कराया और वन्यजीव संरक्षण की अलख जगा रहे फेस्टिवल की जानकारी दी। मुख्य सचिव ने कहा कि जयपुर टाइगर फेस्टिवल वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में हो रहा मुख्य प्रयास है जिसमें भाग लेना हर्ष की बात है।
डॉ. रीला होता ने अपनी प्रस्तुति के रंग में फेस्टिवल की शाम को रंग दिया। उन्होंने गणेश वंदना के साथ अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की। विघ्नहरता को मनाने वाली इस प्रस्तुति की पटकथा बिजयलक्ष्मी होता ने लिखी, नृत्य संरचना गितांजलि लाल एवं गणेश आचार्य की रही, इसमें संगीत पद्म विभूषण पं. राजन—साजन मिश्र एवं स्वरांश मिश्र ने दिया है। इसके बाद हुई प्रस्तुति 'देवी पल्लवी' विशेष तौर पर जयपुर टाइगर फेस्टिवल के लिए तैयार की गयी। डॉ. रीला होता व सचिकांत प्रधान की साझा प्रस्तुति में भारतीय शास्त्रों में बाघ की महत्ता को दर्शाया गया। इसका संगीत भुवनेश्वर मिश्रा ने दिया, नृत्य संरचना गुरु केलुचरण महापात्र ने तैयार की जबकि परिकल्पना योग गुरु बिजयलक्ष्मी होता की रही। हर प्रस्तुति में बेहतर फुटवर्क, भाव—भंगमिओं के साथ कलाकारों ने दर्शकों का मन मोहा। अंतिम प्रस्तुति सन्यास आश्रम पर आधारित रही जिसमें मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया गया अंतिम प्रयास प्रदर्शित किया गया। भाव, मुद्राएं और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर इस प्रस्तुति ने दर्शकों का न केवल मनोरंजन किया बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अनुभव भी दिया।
रिवाइल्डिंग, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी और टाइगर कंजर्वेशन पर हुई चर्चा
फेस्टिवल अध्यक्ष संजय खवाड़ ने बताया कि प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट देकर भी सम्मानित किया गया। इससे पहले कार्यक्रम में आयोजित टॉक शो में वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन और फोटोग्राफी के विविध आयामों पर चर्चा हुई। जहां प्लेबैक सिंगर और म्यूजिक कम्पोजर अभिषेक रे, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर अपारूपा डे और सुब्बैया नल्ला मुत्थु ने अपने अनुभव साझा किए। इस अवसर पर अभिषेक रे ने बाघ संरक्षण पर ज़ोर देते हुए कहा कि वन्य जीवन को बचाने के लिए समाज को उसकी वास्तविक उपयोगिता और मूल्य को समझना होगा। उन्होंने बताया कि एक बेहतरीन तस्वीर के लिए वन्यजीव फोटोग्राफर घंटों धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करते हैं। अभिषेक रे ने अपने प्रयासों से विकसित सीताबनी (सीतामढ़ी) वाइल्डलाइफ रिज़र्व की यात्रा साझा की, जो भारत का पहला निजी वन्यजीव अभयारण्य है। उन्होंने बताया कि बंजर भूमि को पुनः जंगल में बदलकर उसे आज एक महत्वपूर्ण टाइगर कॉरिडोर के रूप में स्थापित किया गया है। अभिषेक वन्यजीव तस्करी की अंधेरी दुनिया पर आधारित अपनी किताब ‘बाघ’ के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि यह एक रोमांचक एक्शन-एडवेंचर उपन्यास है।यह बाघों के अवैध शिकार की भयावह पृष्ठभूमि में आदिवासी जग्गु और उसकी बचपन की प्रेमिका जाह्नवी की अनूठी प्रेम कहानी को दर्शाती है।
अपारूपा डे ने पश्चिम बंगाल के राज्य पक्षी किंगफिशर की पहली तस्वीर क्लिक करने से शुरू हुई अपनी फोटोग्राफी यात्रा साझा की। उन्होंने बताया कि किस तरह उनकी पहली तस्वीर ने उनके करियर की दिशा तय की और कैसे एक अंतरराष्ट्रीय कैमरा ब्रांड ने उनसे संपर्क किया। साथ ही, फुल-टाइम वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर बनने की चुनौतियों और आवश्यक कौशलों पर भी प्रकाश डाला। वहीं सुब्बैया नल्ला मुत्थु ने कहा कि वह हमेशा परफेक्ट शॉट का इंतज़ार करते हैं, ताकि तस्वीरों की श्रृंखला एक पूरी कहानी कह सके। उन्होंने वाइल्डलाइफ टूरिज्म, बाघ के दृष्टिकोण और इस क्षेत्र में आए बदलावों पर अपने विचार साझा किए।
इस मौके पर गौरव नकरा की पुस्तक ‘स्ट्राइप्स ऑफ सर्वाइवल’ का विमोचन किया गया। गौरव ने बताया कि किस तरह परिवार के सहयोग और प्रेरणा से उन्होंने कॉर्पोरेट जगत छोड़कर इस पुस्तक लेखन की राह चुनी।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश