उत्तर पश्चिम रेलवे : यात्री सुविधाओं का विकास, नवाचारों के माध्यम से बेहतर सेवाएं देने के लिए प्रतिबद्धता

 


जयपुर, 29 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर पश्चिम रेलवे पर वर्ष 2025 में रेल उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए यात्री सुविधाओं तथा संरक्षित रेल परिवहन पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया। वर्ष 2025 उत्तर पश्चिम रेलवे के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास, यात्री सुविधाओं में विस्तार, परिचालन उत्कृष्टता और तकनीकी नवाचार और रेल सेवाओं की शुरुआत के साथ उपलब्धियों से भरा वर्ष साबित हुआ है। इसके साथ ही आधुनिक तकनीक के उपयोग, स्टेशन पुनर्विकास, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पहल तथा बुनियादी ढांचे के सुदृढ़ीकरण के माध्यम से उत्तर पश्चिम रेलवे ने भारतीय रेल के अग्रणी ज़ोनों में अपनी सशक्त पहचान बनाई है। आमजन को रेलवे के इतिहास और सांस्कृतिक विरासत के साथ जोड़ने के लिए स्टेशन महोत्सव का आयोजन भी किया गया।

उत्तर पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक अमिताभ के कुशल नेतृत्व और दिशा-निर्देशानुसार तकनीक का उपयोग और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से कार्य किए जा रहे हैं। उत्तर पश्चिम रेलवे पर मुख्यालय और सभी मण्डलों के समन्वय से यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने के कार्य नियमित रूप से किए जा रहे हैं। मुख्यालय और मण्डल की टीम लगातार बेहतर रेल संचालन और उत्कृष्ट यात्री सुविधाओं की मॉनिटरिंग कर रही है।

अमृत स्टेशन योजना के तहत रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास से राजस्थान के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक विकास में बढ़ोत्तरी होगी, साथ ही अमृत स्टेशन राजस्थान की सांस्कृतिक गरिमा और आधुनिकता के प्रतीक बनेंगे और क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

उत्तर पश्चिम रेलवे ने विगत वर्षों में रेल अवसंरचना के सुदृढ़ीकरण, आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली के विस्तार, पूर्ण विद्युतीकरण और परिचालन उत्कृष्टता के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। वर्ष 2025-26 के दौरान किए गए इन कार्यों से न केवल रेल यातायात अधिक संरक्षित और सुगम हुआ है, बल्कि ट्रेनों की समयपालनता में भी उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया है।

उत्तर पश्चिम रेलवे ने कई महत्वपूर्ण रेलखंडों पर दोहरीकरण कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया है। चूरू-रतनगढ़ रेलखंड (43 किलोमीटर), काठूवास-अटेली (10 किलोमीटर), कुंड-काठूवास (5 किलोमीटर) और मनहेरू-भिवानी (14 किलोमीटर) रेलखंडों का दोहरीकरण कार्य पूर्ण किया गया है। इन रेलखंडो के दोहरीकरण होने से रेल संपर्क और अधिक मजबूत हुआ है तथा लाइन क्षमता में बढ़ोतरी होगी तथा अधिक ट्रेनों का संचालन किया जा सकेगा साथ ही ट्रेनों की गति में भी वृद्वि होगी।

रेल संरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उत्तर पश्चिम रेलवे ने सिग्नलिंग प्रणाली के आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया है। वर्तमान में पूरे उत्तर पश्चिम रेलवे पर 256 रूट किलोमीटर में ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली को सफलतापूर्वक कमीशन किया जा चुका है, जिसमें से 82 किलोमीटर का कार्य वर्ष 2025-26 के दौरान पूर्ण किया गया है। ऑटोमैटिक सिग्नलिंग से मानवीय त्रुटियों की संभावना कम होती है और रेलखंड की क्षमता में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त, रेलवे द्वारा 75 स्टेशनों पर डबल डिस्टेंट सिग्नलिंग प्रणाली उपलब्ध कराई गई है।

उत्तर पश्चिम रेलवे ने पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा दक्षता की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में लगभग 100 प्रतिशत रेलमार्ग विद्युतीकरण पूरा कर लिया है। विद्युतीकरण से डीज़ल ईंधन पर निर्भरता कम हुई है, परिचालन लागत में कमी आई है और कार्बन उत्सर्जन में भी उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। इससे न केवल पर्यावरण को लाभ हुआ है, बल्कि ट्रेनों की गति और विश्वसनीयता भी बढ़ी है।

उत्तर पश्चिम रेलवे पर आधारभूत संरचना और तकनीकी अपग्रेडेशन का सीधा प्रभाव परिचालन दक्षता पर देखने को मिला है। वर्ष 2025-26 के दौरान उत्तर पश्चिम रेलवे की मेल एवं एक्सप्रेस ट्रेनों की समयपालनता 94.53 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो पूरे भारतीय रेल में दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। यह उपलब्धि निरंतर मॉनिटरिंग, बेहतर लाइन क्षमता, आधुनिक सिग्नलिंग और कर्मचारियों की प्रतिबद्धता का परिणाम है।

मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी शशि किरण के अनुसार उत्तर पश्चिम रेलवे द्वारा किए गए दोहरीकरण, ऑटोमैटिक सिग्नलिंग, डबल डिस्टेंट सिग्नलिंग और पूर्ण विद्युतीकरण जैसी पहल न केवलयात्री एवं माल यातायात को सुगम बना रही हैं, बल्कि आने वाले वर्षों में तेज़, सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल रेल सेवाओं की मजबूत नींव भी रख रही हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव