कुल की रस्म अदायगी के साथ ख्वाजा का 814वां सालाना उर्स सम्पन्न, जन्नती दरवाजा हुआ बंद

 


जायरीन का घरों को लौटने का सिलसिला तेज

अजमेर, 27 दिसम्बर(हि.स.)। अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती का 814वां छह दिवसीय सालाना उर्स शनिवार को कुल की रस्म अदायगी के साथ सम्पन्न हो गया। इसी के साथ ही जायरीन का घरों को लौटने का सिलसिला भी तेज हो गया।

शनिवार को दरगाह में महाना छठी मनाई गई और कुल की रस्म अदा की गई। शनिवार सुबह आस्ताना शरीफ आम जायरीन के लिए बंद कर दिया गया। सुबह करीब 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक महफिल खाना में कुल की रस्म के तहत शाही चौकी के कव्वालों ने दरगाह दीवान के उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन की सदारत में रंग और बधावा पढ़ा। इस दौरान महफिल खाना में कलंदर और मलंग दागोल की रस्म पेश की । कलंदरों ने हैरत अंगेज करतब दिखाते हुए महफिल खाने में कुछ देर दीवान की गद्द का इस्तकबाल किया। दोपहर करीब सवा बजे कुल की रस्म हुई। रस्म के दौरान आस्ताना में खादिम ही अंदर रहे। दरगाह दीवान के उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन ने जन्नती दरवाजे से होकर आस्ताना शरीफ में प्रवेश किया इसके बाद जन्नती दरवाजा बंद कर दिया गया। जन्नती दरवाजा 21 दिसम्बर को उर्स शुरू होने के अवसर पर चांद रात को खोला गया था।

परम्परानुसार कुल की रस्म के दौरान शाहजहांनी गेट स्थित नौबत खाने से शादियाने बजाए गए। इस दौरान बड़े पीर की पहाड़ी से तोप दागी गई। महाना छठी के अवसर पर सभी के लिए दुआ की और जायरीन को लंगर तकसीम किया गया। इस मौके पर फातिहा पढ़ी गई।

गौरतलब है कि सूफी संत ख्वाजा के छह दिवसीय उर्स के तहत पांच रजब यानी शुक्रवार की रात से ही आशिकान ए ख्वाजा नजर आए। दरगाह में हजारों की संख्या में जायरीन उपस्थित से सभी ने छह रजब यानी शनिवार लगने के साथ ही देर रात दरगाह की दरों दीवारों पर गुलाब जल व केवड़ा जल से छीटें देकर उसे रगड़ रगड़ कर साफ करना शुरू कर दिया। इस दौरान अनेक आशिकान ए ख्वाजा आखों में आंसू लिए थे। जायरीन ने नम आंखों से ख्वाजा गरीब नवाज से अमन चैन व खुशहाली की दुआ की। ख्वाजा के उर्स में बड़े कुल की रस्म 30 दिसम्बर को होगी। जो जायरीन बड़े कुल की रस्म अदाकर लौटेंगे व अजमेर में ही रहेंगे। शेष जायरीन का घरों पर लौटने का सिलसिला तेजी से शुरू हो गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / संतोष