देवखेड़ा में अमर शहीद केसरीसिंह बारहठ की प्रतिमा का अनावरण
भीलवाड़ा, 23 दिसंबर (हि.स.)। राजस्थान की वीर भूमि और स्वतंत्रता संग्राम की अमिट पहचान रहे राजस्थान केसरी अमर शहीद केसरीसिंह बारहठ की स्मृतियों को मंगलवार को एक बार फिर जीवंत कर दिया गया। उनके पैतृक गांव देवखेड़ा में भव्य प्रतिमा का अनावरण केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया। भारत माता की जय और वंदे मातरम् के गगनभेदी नारों के बीच हुए इस ऐतिहासिक आयोजन ने देवखेड़ा को राष्ट्रीय चेतना के मानचित्र पर विशेष स्थान दिला दिया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रतिमा स्थापना के साथ देवखेड़ा अब सही अर्थों में क्रांति तीर्थ बन गया है।
उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष केंद्र सरकार ने देवखेड़ा को ‘मेरा गांव, मेरी धरोहर’ योजना में शामिल किया है। इससे गांव की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और क्रांतिकारी विरासत को संरक्षित करने के साथ-साथ पर्यटन और विकास को भी नई दिशा मिलने की उम्मीद जगी है। समारोह में जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों, सामाजिक संगठनों और बड़ी संख्या में ग्रामीणों की उपस्थिति ने आयोजन को भव्य स्वरूप प्रदान किया।
अनावरण समारोह में राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत, सांसद दामोदर अग्रवाल, शाहपुरा विधायक डॉ. लालाराम बैरवा, नगर पालिका अध्यक्ष रघुनंदन सोनी, अखिल भारतीय चारण गढ़वी महासभा के अध्यक्ष सीडी देवल, कोटा संभाग के पूर्व आयुक्त राजेंद्र सिंह शेखावत, प्रताप सिंह बारहठ सेवा संस्थान के अध्यक्ष कैलाश सिंह जाड़ावत, डॉ. परमेश्वर कुमावत सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे। केसरीसिंह बारहठ की दोहित्री विजय लक्ष्मी और परिवारजनों की उपस्थिति ने आयोजन को भावनात्मक गरिमा प्रदान की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि देवखेड़ा में केसरीसिंह बारहठ की प्रतिमा की स्थापना केवल एक स्मारक नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का केंद्र है। उन्होंने कहा कि आज भारत सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की वैश्विक साख बढ़ी है और भारत आर्थिक रूप से पहले से अधिक सशक्त हुआ है। शेखावत ने कहा कि यह वही भारत है, जिसका सपना केसरीसिंह बारहठ जैसे क्रांतिकारियों ने देखा था।
शेखावत ने कहा कि केसरीसिंह बारहठ ने अंग्रेजी हुकूमत से शब्दों के माध्यम से लोहा लिया। उन्होंने सोरठों और रचनाओं के जरिए राष्ट्रप्रेम की ऐसी अलख जगाई, जिसने जनमानस को झकझोर दिया। उन्होंने महाराणा मेवाड़ को दिल्ली दरबार में जाने से रोककर स्वाभिमान की रक्षा की और यह संदेश दिया कि राष्ट्र और सम्मान सर्वोपरि हैं। केंद्रीय मंत्री ने युवाओं से आह्वान किया कि वे बारहठ के राष्ट्रप्रथम के संदेश को आत्मसात करें और देश निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं।
आयोजन समिति की मांग पर केंद्रीय मंत्री शेखावत ने संस्कृति मंत्रालय की ओर से शाहपुरा में डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानी देश की धरोहर हैं। मोदी सरकार ने अब तक लगभग 20 हजार स्वतंत्रता सेनानी परिवारों को सम्मानित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि आज वैश्विक स्तर पर सनातन संस्कृति की जो पहचान बन रही है, उसकी दिशा में केसरीसिंह बारहठ ने डेढ़ दशक पहले ही कार्य कर मार्ग प्रशस्त कर दिया था। वंदे मातरम् गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह गीत आज फिर घर-घर पहुंच रहा है।
राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने केसरीसिंह बारहठ को महान योद्धा, विद्वान और दूरदृष्टा बताया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में शायद ही कोई ऐसा उदाहरण हो, जहां किसी क्रांतिकारी ने अपना पूरा परिवार आजादी के आंदोलन में झोंक दिया हो। लखावत ने कहा कि बारहठ के इतिहास के पुनर्लेखन की महत्ती आवश्यकता है। उनके द्वारा लिखित ग्रंथों और ऐतिहासिक दस्तावेजों का प्रकाशन कराया गया है। शाहपुरा में प्राधिकरण की ओर से बारहठ पैनोरमा का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जो इतिहास प्रेमियों और युवाओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।
सांसद दामोदर अग्रवाल ने कहा कि देवखेड़ा को विकसित गांव बनाकर प्रधानमंत्री की ‘मेरा गांव, मेरी धरोहर’ योजना को धरातल पर उतारा जाएगा। विधायक डॉ. लालाराम बैरवा ने बताया कि राज्य सरकार ने देवखेड़ा को आदर्श गांव घोषित कर दिया है। शीघ्र ही दो करोड़ रुपये के विकास कार्य शुरू होंगे, जिनमें आधारभूत सुविधाओं, सड़क, सौंदर्यीकरण और सांस्कृतिक स्थलों के विकास को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि निरंतर प्रयासों से देवखेड़ा को राष्ट्रीय स्तर का तीर्थ स्थल बनाया जाएगा।
अन्य वक्ताओं ने भी केसरीसिंह बारहठ के योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि उनकी राष्ट्रभक्ति, स्वाभिमान और त्याग की गाथा आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। समारोह के समापन पर यह संदेश स्पष्ट था कि देवखेड़ा की धरती पर केवल प्रतिमा का अनावरण नहीं हुआ, बल्कि इतिहास, चेतना और राष्ट्रभक्ति की एक नई मशाल प्रज्वलित हुई है, जो आने वाली पीढ़ियों को दिशा देती रहेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / मूलचंद