युगीन साहित्य प्रवाह संस्थान का दो दिवसीय अधिवेशन सम्पन्न
भीलवाड़ा, 25 दिसम्बर(हि.स.)। भीलवाड़ा जिले के आदर्श विद्या मंदिर विद्यालय युगीन साहित्य प्रवाह संस्थान के तृतीय अधिवेशन का सोमवार को समापन हुआ।
कार्यक्रम शुभारंभ साहित्यकार अक्षयराज सिंह झाला, डॉ. रविकांत सनाढ्य, ओम उज्ज्वल ने दीप प्रज्ज्वलन और जयप्रकाश भाटिया ने मां सरस्वती की वंदना से किया। दो सत्रों में प्रमुख विषयों पर वरिष्ठ सन्दर्भ साहित्यकार डॉ. भैरू लाल गर्ग ने संस्कार और संस्कृति के संरक्षण में साहित्य की भूमिका पर जोर दिया। चित्रकार एवं विचारक केजी कदम ने कला और साहित्य का संगम, विचारक रामावतार शर्मा ने मानस की वर्तमान में प्रासंगिकता, अध्यक्षीय उद्बोधन में बाल साहित्यकार डॉ सत्यनारायण सत्य ने पुस्तक प्रकाशन-क्यों और कैसे, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रविकांत सनाढ्य ने लेखन में शुद्धि का महत्त्व, कार्यक्रम संयोजक योगेश दाधीच ने युगीन यात्रा, विचारक एवं यायावर लेखक सूर्यप्रकाश पारीक ने यात्रा लेखन कल आज और कल, राष्ट्रीय हास्य कवि दीपक पारीक ने स्वस्थ रहने में हास्य की भूमिका, वरिष्ठ साहित्यकार अक्षयराज सिंह झाला ने राजस्थानी साहित्य और ग्राम्य जीवन, नवीन जीनगर ने फिल्म जगत और साहित्य, संरक्षकीय उद्बोधन वरिष्ठ साहित्यकार गोपाल लाल दाधीच ने विचार प्रकट किए।
अधिवेशन में सतीश कुमार व्यास आस, रामावतार रिणवा, सूर्यप्रकाश पारीक और मनीष भट्ट के संपादकीय में प्रकाशित संस्थान की पुस्तक कलरव और यायावर लेखक ऋषभ भरवा की पुस्तक सागरमाथा की ओर का भी अतिथि साहित्यकारों ने विमोचन किया। अधिवेशन में गजल संध्या, काव्य गोष्ठी, परिचर्चा एवं साहित्यिक पुस्तकों की प्रदर्शनी इत्यादि गतिविधियां भी आयोजित हुई। आभार व्यक्त साहित्यकार सतीश कुमार व्यास आस ने और संचालन युवा विचारक राजवीर सिंह राठौड़, रोहित विश्नोई सुकुमार ने किया।
व्यवस्थापक कृष्णगोपाल सैन के अनुसार दो दिवसीय अधिवेशन में सत्येंद्र मंडेला, अजीज जख्मी, डॉ. अवधेश जौहरी, रशीद निर्मोही, मदन दाधीच, ओम उज्ज्वल, अश्विनी व्यास, मनीष भट्ट, चंद्रेश टेलर, राज सोनी श्मालपुराश्, अजित सिंह श्जयदेवश्, रामेश्वर रमेश, शायर रईस रायपुरी, डॉ. सुरेंद्र लोढ़ा, मनमोहन सोनी, अंजनी कुमार समर्थ, रामचंद्र शर्मा, अशोक जोशी, पुखराज सोनी, ओमप्रकाश शर्मा, प्रशांत चतुर्वेदी, घनश्याम शर्मा, दिनेश दाधीच, शंकरलाल कुमावत, मूमल राजगोपाल, अमिता पारीक, उमा पारीक, सुरेंद्र वैष्णव, महेशचंद्र शर्मा, देवकिशन मेघांश, प्रकाश पाराशर, एमपी नारायण, सुरेंद्र माली, गगन दाधीच, भूपेश दाधीच, आशीष दाधीच, प्रभुदयाल जांगिड़, राजेश सेन, शिव कुमावत, आदित्य जाट, दिनेश प्रजापत, संपत धाकड़, रोहित सुकुमार, अविचल विश्नोई, नारायण भदाला सहित लगभग 135 साहित्यकारों की सहभागिता रही।
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