प्रायोगिक कर्माभ्यास में सिखाए नाडी परीक्षा के गुर

 


जोधपुर, 03 अप्रेल (हि.स.)। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालय पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ़ आयुर्वेद के स्नातकोत्तर क्रिया शरीर विभाग की ओर से आयोजित नाड़ी परीक्षण विषयक पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन बुधवार को समारोहपूर्वक हुआ।

समापन समारोह की अध्यक्षता कर रहे कुलसचिव प्रोफेसर गोविन्द सहाय शुक्ल ने अपने संबोधन में कहा कि इस प्रकार की राष्ट्रीय कार्यशाला से नाड़ी परीक्षा के नियमित अभ्यास से चिकित्सा में सफलता प्राप्त की जा सकती है। नाडी परीक्षा से सम्बंधित कार्यशाला नियमित अंतराल पर होती रहनी चाहिए। वैद्य समाज में नाड़ी-परीक्षा का प्रचलन प्राचीन काल से चला आ रहा है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं प्रशिक्षक आयुर्वेद एवं नाडी विशेषज्ञ डॉ. विनायक विट्टल तायड़े ने अपने संबोधन में कहा कि नाड़ी से वात, पित्त, कफ, द्वन्द्व तथा सन्निपातज रोगों का ज्ञान एवं उनके द्वारा होने वाले रोगों का ठीक होना या नहीं होने का ज्ञान होता है। नाड़ी की सूक्ष्म गतियों पर विचार करने वाला चिकित्सक रोग का समय-सप्ताह, दिन तथा घण्टों का ज्ञान कर सकता है कि इस रोग की चिकित्सा कितने समय में हो सकती है जिसके लिए मन की एकाग्रता आवश्यक है लेकिन इस बात को कह देना जितना सरल है उतना ही करके देखना कठिन है। केवल नाड़ी-परीक्षा की पुस्तक पढ़ लेने से ही ज्ञान नहीं हो सकता। इसके लिए अनुभव की आवश्यकता है और यह अनुभव गुरु-परम्परा के द्वारा एवं अपनी क्रियाशीलता पर आधारित होता है। आयोजन अध्यक्ष एवं प्राचार्य प्रो महेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि युगानुरूप सन्दर्भ में नाडी परीक्षा के गूढ़ ज्ञान को समझना आवश्यक है। सभी मंचासीन अतिथियों का पुष्प गुच्छ भेंट कर विभागाध्यक्ष क्रिया शारीर विभाग एवं आयोजन सचिव डा दिनेश चन्द्र शर्मा ने अभिनन्दन किया।

मीडिया प्रभारी डॉ. दिनेश चंद शर्मा ने बताया कि दूसरे दिन के सत्र का शुभारंभ सुबह प्रायोगिक कर्माभ्यास से हुआ। नाड़ी विशेषज्ञ केजीएमपी आयुर्वेद महाविद्यालय मुंबई के पूर्व प्रोफेसर डॉ. विनायक विट्टल तायड़े एवं डॉ. खुशबू पाम्परा ने प्रशिक्षुओं को नाड़ी परीक्षण का प्रायोगिक ज्ञान देते हुए स्वस्थ व रोगियों की नाड़ी को देखना सिखाया। प्रशिक्षणार्थियों के अलग अलग ग्रुप बनाकर रोगियों पर रोगानुसार नाडी परीक्षण कर प्रायोगिक कर्माभ्यास करवाया। कार्यशाला के कोर्डिनेटर डॉ. पूजा पारीक ने धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रो. गोविन्द प्रसाद गुप्ता, परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजाराम अग्रवाल, प्रो. राजेश कुमार गुप्ता, डीन रिसर्च डॉ. देवेंद्र चाहर, सीएचआरडी निदेशक डॉ. राकेश कुमार शर्मा, नर्सिंग प्राचार्य डॉ. दिनेश कुमार राय, उपकुलसचिव डॉ. मनोज अदलखा,, डॉ. हेमंत, डॉ. अनीश, डॉ. रमेश एवं क्रिया शरीर विभाग के स्नातकोत्तर अध्येता तथा ऑफलाइन एवं ऑनलाइन भाग लेने वाले 250 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वर्षा ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार/सतीश/संदीप