भरतपुर में कांग्रेस के लिए राह नहीं आसान
भरतपुर, 27 फ़रवरी (हि.स.)। लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस के लिए भरतपुर में राह आसान नजर नहीं आ रही। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच वर्चस्व की लड़ाई अंदरखाने अभी भी जारी है, जिसका असर टिकट वितरण में भी देखने को मिल सकता है। हालांकि, अभी पार्टी की ओर से अधिकृत रूप से कोई चेहरा प्रोजेक्ट नहीं किया गया है, लेकिन राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पार्टी में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए गहलोत अपने ही आदमी को टिकट दिलाएंगे। इसमें राज्य के पीडब्लूडी मंत्री रहे भजनलाल जाटव का नाम दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है। साफ है कि पायलट गुट किसी भी कीमत पर ऐसे प्रत्याशी का समर्थन नहीं देगा जिसका झुकाव गहलोत खेमे की तरफ होगा।
भरतपुर लोकसभा सीट के लिए पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने अपनी बिसात बिछा दी है। उनके खेमे के माने जाने वाले पूर्व मंत्री महेश जोशी को पार्टी की ओर से ऑबजर्वर बनाया जाना साफ संकेत देता है कि भरतपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस कैंडीडेट अशोक गहलोत की पसंद का ही होगा। इसके एक और मजबूत संकेत हाल ही में पार्टी के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की बैठक में देखने को मिला। अधिकृत रूप से तो जिला कांग्रेस को आयोजन के लिए कहा गया, लेकिन आयोजन की अंदरखाने जिम्मेदारी पूर्व पीडब्लूडी मंत्री भजनलाल जाटव के पास थी। सूत्र बताते हैं कि जाटव भरतपुर के साथ-साथ करौली से भी कांग्रेस का टिकट मांग रहे हैं।
पायलट समर्थकों ने लगाए नारे
दो दिन पहले राहुल गांधी की धौलपुर में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने पहुंचे अशोक गहलोत के काफिले के सामने धौलपुर सीमा में टोल टैक्स पर सचिन समर्थकों ने पायलट के समर्थन में नारे लगाए थे। कांग्रेस जिलाध्यक्ष का दावा है कि दोनों नेताओं के वहां से गुजरने में ज्यादा अंतराल नहीं था, लेकिन सचिन समर्थकों का कहना है कि दोनों के टोल से गुजरने में आधे घंटे का फासला था।
पोस्टर से भी गायब पायलट का चेहरा
इधर, सचिन पायलट का चेहेरा बैनर-पोस्टरों से भी गायब है। 22 फरवरी को भरतपुर में हुए पार्टी के सम्मेलन में लगे बैनर-पोस्टरों से पायलट का चेहरा नहीं दिखा जिसको लेकर उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जताती थी।
भरतपुर सीट पर गुर्जर वोट अहम
जानकारों के अनुसार भरतपुर लोकसभा सीट पर गुर्जर वोट काफी अहम हैं। इस सीट पर कुल वोटर करीब 20 लाख है जिसमें गुर्जर वोट करीब 3 लाख हैं। सचिन पायलट को इग्नोर किए जाने से गुर्जर कांग्रेस से नाराज रहे हैं। विधानसभा चुनाव में इसका असर दिखा और अब लोकसभा चुनाव पर इसका असर पड़ सकता है।
पायलट की नारेबाजी और पार्टी में गुटबाजी को लेकर कांग्रेस जिलाध्यक्ष दिनेश सूपा का कहना है कि मैं उस टोल पर नहीं था। वैसे ऐसी कोई बात नहीं है। अशोक गहलोत व सचिन पायलट के टोल से गुजरने में ज्यादा वक्त का फासला नहीं था। इसलिए समर्थकों को लगा होगा कि पायलट गुजर रहे हैं। पार्टी संगठित है। जिसे भी कैंडीडेट बनाया जाएगा उसके लिए एकजुटता से काम करेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/अनुराधा/संदीप