ई-मित्र पर नकल शुल्क की राशि कम की जाए : सिंघवी

 


कोटा, 15 जून (हि.स.)। छबड़ा विधायक व पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने प्रदेश में ई-मित्र संचालकों द्वारा वसूल की जा रही नकल शुल्क की राशि को कम किए जाने की राज्य सरकार से मांग की है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की सभी तहसीलें करीब-करीब ऑनलाईन हो चुकी हैं। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा जमाबंदी, गिरदावरी एवं नक्शे की प्रतिलिपि सम्बन्धी शुल्क माफ कर रखा है। तहसीलों का राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाईन हो जाने के कारण काश्तकारों को आवश्यकता पड़ने पर ई-मित्र से जमाबंदी, गिरदावरी व नक्शा ट्रेस की नकल लेनी पड़ती है। ई-मित्र द्वारा काश्तकारों से नकल शुल्क के 200 से 500 रुपये वसूल किए जा रहे है। पूर्व में काश्तकार 40 रुपये में नकल फीस देकर जमाबंदी, गिरदावरी व नक्शा प्राप्त कर लेता था। काश्तकारों को पूर्व की अपेक्षा ऑनलाईन में अत्यधिक आर्थिक भार उठाना पड़ रहा है।

सिंघवी ने बताया कि यदि किसी काश्तकार के खेतों की संख्या 10 से अधिक है तो उसे प्रति खसरें की नकल लेने के लिए ई-मित्र वालों को प्रति पेज 20 रुपये अदा करना पड़ता है, जो काश्तकार के लिए ज्यादा है। ई-मित्र संचालकों द्वारा ली जा रही राशि को कम किया जाना चाहिए। ई-मित्र संचालक राशि अधिक न वसूले इसके लिए उनको पाबन्द किया जाना चाहिए। साथ ही राज्य सरकार द्वारा नकल फीस माफ की हुई है उसी प्रकार नामान्तरण शुल्क को भी माफ किया जाना चाहिए जो एक वित्तीय वर्ष छोड़कर अगले वित्तीय वर्ष में वसूल किया जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप