स्वास्थ्य कल्याण ब्लड बैंक ने 29 साल में 12 लाख से ज्यादा मरीजों को कराया रक्त उपलब्ध
जयपुर, 26 मई (हि.स.)। स्वास्थ्य कल्याण ब्लड बैंक मिलाप नगर जयपुर ने रविवार को अपना 30वां स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर ब्लड बैंक परिसर में वृहद रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में ब्लड बैंक में नियमित रक्तदान करने वाले रक्तदान योद्धाओं, मित्रगणों और उनके परिजनों के अलावा ब्लड बैंक, राजस्थान हॉस्पिटल तथा स्वास्थ्य कल्याण संस्थाओं के स्टाफ ने भी रक्तदान किया।
इस अवसर पर ब्लड बैंक के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. एसएस अग्रवाल ने कहा कि राज्य में पहली निजी ब्लड बैंक की स्थापना के साथ अब तक 29 वर्ष में हमने मानकों का कठोरता से पालन किया है एवं अनेक नवाचार भी किए हैं। इसी कारण स्वास्थ्य कल्याण ब्लड बैंक को क्वालिटी कौंसिल ऑफ इण्डिया, भारत सरकार की ओर से ‘एनएबीएच’ सर्टिफिकेशन दिया गया है। उन्होंने बताया कि ब्लड बैंक ने 29 साल में अब तक आठ हजार रक्तदान शिविरों के माध्यम से छह लाख यूनिट रक्त एकत्र कर प्लाज्मा, प्लेटलेट्स, आरबीसी और डब्ल्यूबीसी जैसे विभिन्न घटकों से 12 लाख मरीजों को रक्त उपलब्ध कराया है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि पहले स्टेंड अलॉन और नॉन गवर्नमेंट लाइसेंस प्राप्त ब्लड बैंक का उद्देश्य जरूरतमंदों को बिना एबज में लिए रक्त उपलब्ध कराना है। अग्रवाल ने कहा कि अब हम रक्त की एक यूनिट से इसके तीनों कम्पोनेंट के करीब 20 तरह के प्रोडक्ट बनाते हैं, जिनको मरीज की आवश्यकतानुसार उसे दिया जाता है, जिससे रोगी को तुरंत लाभ मिले और उसे साइड रिएक्शन भी ना हों। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य कल्याण ब्लड बैंक ही एकमात्र ब्लड बैंक है जिसमें सभी तरह के ब्लड कॉम्पोनेन्ट/प्रोडक्ट आधुनिकतम मशीनों से बनाएं जाते हैं। इन प्रोडक्ट में पैक्ड आरबीसी, ल्यूको रीडूस्ड पैक्ड आरबीसी, ल्यूकोडिफ्लेटेड पैक्ड आरबीसी बाइ फिल्ट्रेशन, पैक्ड रेड सेल्स एलिकॉट्स, सेलाइन वाश्ड रेड सेल्स, होल ब्लड, क्रायो प्रेसिपिटेट, रैंडम डोनर प्लेटलेट (आरडीपी), ल्यूको रीडूसड रैंडम डोनर प्लेटलेट, सिंगल डोनर प्लेटलेट बाई अफेरेसिस (एसडीपी), फ्रेश फ्रोजेन प्लाज्मा (एफएफपी), ल्यूको रीडूस्ड फ्रेश फ्रोजेन प्लाज्मा (एफएफपी), प्लाज्मा बाई अफेरेसिस, प्लेटलेट रिच प्लाज्मा (पीआरपी), ल्यूकोडिफ्लेटेड रेड सेल्स, पूल्ड प्लेटलेट्स आदि शामिल हैं।
उन्होंने रक्त दाताओं का आह्वान किया कि रक्तदाता उन्हीं शिविरों में रक्तदान करें जहां किसी प्रकार का प्रलोभन नहीं दिया जाता हो। क्योंकि बिना किसी प्रलोभन के दिया रक्त ही हैल्दी एवं स्वैच्छिक रक्त कहलाता है। प्रलोभन के कारण बीमारी छिपाने के साथ रक्तदान करने से उस रक्त को ग्रहण करने वाले मरीज को अन्य दूसरी बीमारी लगने की संभावना रहती है। डॉ. अग्रवाल ने सरकार को भी इस बात पर फोकस करने के लिए कहा कि रक्तदाताओं को शिविर में आने के लिए किसी भी प्रकार की गिफ्ट या प्रलोभन पर प्रभावी रोक लगे। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवी संस्थाएं वार्षिक कैलेंडर बनाएं और बड़े रक्तदान शिविरों के आयोजन के स्थान पर छोटे-छोटे रक्तदान शिविर लगाएं ताकि वर्ष पर्यन्त रक्त की समान आपूर्ति की जा सके।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर