विद्यार्थी सदैव सत्य, धर्म और मानवता के मार्ग पर चलें — राज्यपाल
उदयपुर, 21 दिसंबर (हि.स.)। राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि प्राचीन काल में गुरु और शिष्य परिवार के सदस्य होते थे, जिससे छात्र का सतत मूल्यांकन संभव होता था।
राज्यपाल बागड़े रविवार को उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज सभागार में आयोजित मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के 33वें दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। समारोह में विभिन्न संकायों के 255 शोधार्थियों को पीएचडी की डिग्री तथा 109 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक राज्यपाल एवं कुलाधिपति बागड़े द्वारा प्रदान किए गए।
राज्यपाल ने आह्वान किया कि विद्यार्थी सदा सत्य के मार्ग पर चलें, धर्म का पालन करें और मानवता की भलाई के लिए कार्य करें। बागड़े ने कहा कि जनजाति क्षेत्रों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने वालों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। परिवार में जब कोई व्यक्ति पढ़-लिखकर नौकरी हासिल करता है तो उसकी पूरी पीढ़ी का भविष्य संवर जाता है। इस दिशा में वंचित वर्ग को शिक्षा से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। गरीबी केवल शिक्षा से ही दूर हो सकती है, इसके लिए समाज में शिक्षा को बढ़ावा देना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि मेवाड़ का इतिहास शूरवीरों, मर्यादा और श्रेष्ठ संस्कारों का इतिहास है। शिक्षा में जीवन के विभिन्न आयामों और संस्कारों का समावेश होना चाहिए, तभी अच्छे नागरिक तैयार होंगे। बच्चों की शारीरिक एवं बौद्धिक क्षमता का विकास करना शिक्षा का मूल उद्देश्य है। विश्वविद्यालयों को देश-दुनिया की टॉप रैंकिंग में लाने के लिए निरंतर प्रयास किए जाने चाहिए।
समारोह में पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ प्रशासक गुलाबचंद कटारिया ने दीक्षान्त संबोधन में कहा कि यह केवल डिग्री वितरण का अवसर नहीं है, बल्कि एक विद्यार्थी के निर्माण में अध्यापक, अभिभावक और संस्थान का सामूहिक समर्पण होता है। गुरु की कृपा से ही व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता है और जब तक धरती पर मानव रहेगा, गुरु का सम्मान बना रहेगा। उन्होंने कहा कि इस समारोह में सर्वाधिक स्वर्ण पदक और पीएचडी बालिकाओं को मिली है, जो इस बात का संकेत है कि हमारा समाज सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।
दीक्षान्त समारोह में प्रदेश के डिप्टी सीएम एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है। सरकार के स्तर पर मजबूती के साथ नीतिगत निर्णय लिए जा रहे हैं और साधनों के अभाव की पूर्ति के लिए सरकार कृतसंकल्पित है। शिक्षा जगत में मात्रात्मक सुधार के साथ-साथ गुणात्मक वृद्धि सुनिश्चित की जा रही है।
सार्वजनिक निर्माण, महिला एवं बाल विकास विभाग की राज्यमंत्री प्रो. मंजू बाघमार ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षान्त समारोह का अर्थ केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं है, बल्कि बदलते समय के साथ अपने ज्ञान को निरंतर नवीन बनाए रखना ही सच्ची शिक्षा है। उन्होंने कहा कि आज हमारा देश युवा शक्ति का देश है।
समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. बी.पी. सारस्वत ने की। उन्होंने स्वागत उद्बोधन देते हुए हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता