2500 वर्गमीटर से बड़े भूखंडों में रसाई-बाथरुम के पानी को करना होगा रिसाईकिल
जयपुर, 8 अगस्त (हि.स.)। प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण और लगातार घटते जलस्त्रोत को ध्यान में रखकर पीएचईडी विभाग कई बड़े बदलाव कर रहा है। 2500 वर्गमीटर या उससे बड़े भूखंड में उपयोग किए जाने वाले रसाई और बाथरुम के पानी को उपयोग करने के लिए भवन मालिक रिसाईकिलिंग की व्यवस्था अनिवार्य रुप से करनी होगी। ऐसा नहीं करने पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकेंगी। इसमें टॉयलेट से निकलने वाला पानी शामिल नहीं होगा। 10 हजार वर्ग मीटर से अधिक सकल निर्मित क्षेत्र होने पर अपशिष्ट जल के शुद्धिकरण के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाना आवश्यक होगा। टॉयलेट में उपयोग में ली जाने वाली वॉटर क्लोजेट में ड्यूल फ्लश बटन वाले सिस्ट्रन ही अनुमत होगा। प्रदेश में जल की सीमित उपलब्धता को मध्यनजर रखते हुए अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण एवं पुनः उपयोग प्रणाली तथा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भू-जल विभाग एवं नगर विकास एवं स्वायत्त शासन विभाग ने संयुक्त परिपत्र जारी किया है।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भू-जल मंत्री कन्हैया लाल ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भवन विनियम 2020 की विनियम 10.11.2 में अपशिष्ट जल शुद्धिकरण एवं रिसाईकिलिंग के आवश्यक प्रावधान किए गए है। अपशिष्ट जल के परिशोधन की प्राथमिक जिम्मेदारी स्थानीय निकाय की है। उपयोगकर्ता द्वारा आवेदन करने पर जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित शहर स्तरीय समिति एवं पर्यावरण समिति परिशोधित जल के पुनः उपयोग के सम्बन्ध में वास्तविक उपयोगकर्ता की सलाह पर राज्य सीवरेज एवं वेस्ट वॉटर नीति 2016 में निर्धारित दरों पर निर्णय करने का प्रावधान है।
बहुमंजिला भवनों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट होने पर ही किया जाएगा पेयजल कनेक्शन
जलदाय संचिव डॉ. समित शर्मा ने बताया कि विभाग द्वारा बहुमंजिला भवनों में पेयजल कनेक्शन जारी किए जाने की नीति के अनुसार राजस्थान भवन विनियम 2020 के प्रावधानों के अनुसार अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण एवं पुनः उपयोग प्रणाली तथा सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लाट का निर्माण एवं कार्यात्मक किया जाना आवश्यक है। इसके अभाव में पेजयल कनेक्शन जारी नहीं किया जाएगा। परिशोधित अपशिष्ट जल का उपयोग कृषि, उद्यान, सिंचाई, पार्क में बागवानी, सड़क की धुलाई एवं छिडकाव सहित अन्य कामों में किया जा सकेगा।
पेयजल कनेक्शन की स्वीकृति के लिए विभाग द्वारा होगा प्रमाणीकरण
डॉ. शर्मा ने बताया कि पेयजल कनेक्शन के लिए स्वीकृति प्रक्रिया में वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली के निर्माण, अपशिष्ट जल के शुद्धिकरण एवं पुनः उपयोग प्रणाली तथा सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लांट का निर्माण एवं कार्यात्मक होने का सम्बन्धित कनिष्ठ अभियन्ता द्वारा अपने क्षेत्राधिकार में 100 प्रतिशत निरीक्षण कर प्रमाणीकरण किया जाएगा। सहायक अभियन्ता अपने क्षेत्राधिकार में 40 प्रतिशत, अधिशाषी अभियन्ता अपने क्षेत्राधिकार में 5 प्रतिशत एंव अधीक्षण अभियन्ता अपने क्षेत्राधिकार में 2 प्रतिशत पेयजल कनेक्शन आवेदनों पर निरीक्षण कर प्रमाणीकरण सुनिश्चित करेंगे। प्रमाणीकरण पेयजल कनेक्शन आवेदन पत्रावली में संलग्न करना आवश्यक होगा।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश / ईश्वर