शपथ में राजस्थान अव्वल, अंगदान करने में भी रचेंगे कीर्तिमान
जयपुर, 15 फ़रवरी (हि.स.)। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने कहा कि राजस्थान भामाशाहों और दानदाताओं का प्रदेश है। दान करना यहां की संस्कृति में रचा-बसा है। विगत दिनों में जिस तरह से यहां अंगदान को लेकर जनचेतना बढ़ी है। अंगदान की शपथ लेने में राजस्थान देश में अव्वल है। अंगदान करने में भी राजस्थान को अव्वल बनाने के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा।
सिंह चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से गुरुवार को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित राज्य स्तरीय अंगदान एवं प्रत्यारोपण आमुखीकरण कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 18 वर्ष से अधिक आयु के करीब 25 प्रतिशत नागरिकों ने अंगदान का संकल्प लिया है, जो एक रिकॉर्ड है।
सिंह ने कहा कि राजस्थान किसी समय चिकित्सा की दृष्टि से बीमारू श्रेणी में था, लेकिन अब प्रदेश में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। राजनीतिक नेतृत्व की प्रतिबद्धता के कारण स्वास्थ्य के क्षेत्र को लेकर अब संसाधनों की कोई कमी नहीं है। प्रदेश में 7 प्रतिशत से अधिक बजट स्वास्थ्य सेवाओं को सृदृढ़ करने पर खर्च किया जा रहा है।
चिकित्सा शिक्षा आयुक्त शिवप्रसाद नकाते ने कहा कि कुछ वर्षों पहले तक राजस्थान में अंगदान को लेकर जनचेतना नगण्य थी। अब स्थिति बदली है और लोग आगे आकर अंगदान के लिए संकल्प ले रहे हैं। राज्य सरकार प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में अंगदान के लिए सुविधाएं विकसित कर रही है, ताकि अंगदान करने वालों की संख्या बढे़।
उन्होंने कहा कि अंगदान के प्रति जागरूकता के साथ-साथ यह जरूरी है कि ऑर्गन फेल्योर की स्थिति नहीं बने। इसके लिए जरूरी है व्यक्ति स्वस्थ जीवन शैली और स्वस्थ खान-पान के लिए प्रेरित हो। प्रदेश में इसके लिए आज से शुद्ध आहार, मिलावट पर वार अभियान की शुरूआत की गई है। इस अभियान के माध्यम से लोगों को मिलावट से बचने के लिए न केवल जागरूक किया जाएगा, बल्कि मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी।
नेशनल ऑर्गन एण्ड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (नोटो) के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि देश में अंगदान का प्रतिशत बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी भ्रांतियों और मिथकों के चलते मृत्यु के उपरांत अंगदान करने वालों की संख्या बेहद कम है। कुल अंगदान में से मात्र 2 प्रतिशत अंगदान ऐसे हैं, जो मृत्यु उपरांत किए गए हैं। मृत्यु के बाद अंगदान को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि ब्रेन स्टेम डेड व्यक्ति के परिवारजनों की काउंसलिंग कर उन्हें अंगदान के लिए प्रेरित किया जाए। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के अंगदान से 8 से 9 लोगों को जीवनदान मिलता है।
उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष 2 लाख नए लोग अंग प्रत्यारोण की प्रतीक्षा सूची में जुड़ जाते हैं, जबकि हर वर्ष मांग की तुलना में मात्र 5 प्रतिशत लोगों का अंग प्रत्यारोपण संभव हो पाता है। उन्होंने बताया कि अब अंगदान के लिए राज्यों के अधिवास की शर्त को हटा दिया गया है। अब देश में कहीं भी अंग प्राप्त करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है।
मोहन फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. सुनील श्रॉफ ने कहा कि राजस्थान में अंगदान को प्रोत्साहित करने के लिए सार्थक पहल हुई है। राजस्थान ऐसा पहला प्रदेश है, जहां ड्राइविंग लाइसेंस पर अंगदान की इच्छा प्रकट करने का विकल्प दिया गया है। अब तक 4 लाख लोगों ने ड्राइविंग लाइसेंस के माध्यम से इस संकल्प को अपनाया है।
राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुधीर भण्डारी ने कहा कि हर वर्ष 6 लाख लोग सही समय पर अंग नहीं मिलने के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। उन्होंने अंगदान की चुनौतियों और भ्रांतियों के संबंध में भी जानकारी दी। कार्यशाला में विभिन्न तकनीकी सत्रों में ब्रेन डेथ आइडेंटिफिकेशन एण्ड सर्टिफिकेशन, ब्रेन डेथ मेंटीनेंस, ट्रांसप्लांट लॉ, किडनी, लिवर, हार्ट एण्ड लंग ट्रांसप्लांट सहित इससे जुडे़ विषयों पर गहन चर्चा की गई।
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