विधानसभा में हो सार्थक चर्चा, सभी सदस्यों को बोलने का मौका मिलेगा- विधानसभाध्यक्ष देवनानी

 


जयपुर , 18 जनवरी (हि.स.)। सोलहवीं राजस्थान विधान सभा के प्रथम सत्र की पुनः बैठकें शुक्रवार 19 जनवरी से प्रारम्भ होंगी। इससे पहले गुरुवार को विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने विधान सभा में सर्वदलीय बैठक बुलाई। देवनानी की राजस्थान विधान सभा में सदन चलाने के लिए सर्वदलीय बैठक का आयोजन एक ऐतिहासिक पहल है।

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सदन में सार्थक चर्चा होनी चाहिए। सभी सदस्यों को बोलने का मौका मिलेगा। विधान सभा का सदन अधिक से अधिक दिन चले इसके लिए सभी दलों के सभी सदस्यों को सकारात्मक सोच रखनी होगी। उन्होंने कहा कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी सोलहवीं विधान सभा के सभी नवनिर्वाचित सदस्यों की है।

राज्यपाल के अभिभाषण को सभी सदस्यों को शान्तिपूर्वक सुनने के लिए विधान सभा अध्यक्ष ने आग्रह किया। राज्यपाल का पद संवैधानिक होता है। सदन में राज्यपाल का पूरा सम्मान होना चाहिए] इसके लिए राज्यपाल अभिभाषण के समय शांति रखे व अभिभाषण को धैर्य पूर्वक सुने। सदन में तख्तियां या प्लेकार्ड कोई भी नहीं लावें। विधान सभा अध्यक्ष देवनानी ने कहा कि सभी दलों को चर्चा के लिए नियमानुसार समय आवंटित किया जायेगा। समय सीमा में ही सदस्य अधिक से अधिक अपनी बात रखें। उन्होंने कहा कि यह दल के नेता कि जिम्मेदारी होगी कि उनके दल का सदस्य सदन में अपनी बात को आवंटित समय में ही रखने का प्रयास करे।

देवनानी ने कहा कि यह सदन जनहित के मुद्दों पर चर्चा करने का पवित्र स्थल है। इस स्थल की गरिमा को बनाऐं रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। जनहित के मुद्दों पर सार्थक चर्चा होगी। इसके लिए यदि सदन को देर तक चलाने की आवश्यकता होगी तो सदन को देर तक चलाया जायेगा। उन्होंने कहा कि समस्याओं का हल बातचीत से होता है। सदन में समस्याओं के निस्तारण का प्रयास होगा। यहां पर सदस्यों की बातों को गम्भीरता से लिया जायेगा] उनके द्वारा उठाई गई समस्याओं का निस्तारण भी कराया जायेगा।

देवनानी ने प्रश्नों के उत्तर नहीं आने पर चिन्ता जताते हुए कहा कि अब समय पर प्रश्नों के जवाब मंगाये जायेंगे। इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जायेगी। सदन में समितियों की रिपोर्ट समय पर मंगायी जायेगी और उन पर आवश्यक रूप से चर्चा भी कराई जायेगी। उन्होंने कहा कि सदन का प्रश्न और शून्यकाल महत्वपूर्ण होता है। इन दोनों समय में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिए इसके लिए सभी दलों को सोचना होगा। विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन में स्थगन के साथ पूर्व की भांति पर्ची के माध्यम से अविलम्बनीय लोक महत्व के उठाये जाने विषयों की व्यवस्था को पुनः लागू किया जायेगा। पर्ची से उठाये जाने वाले विषयों पर जवाब भी दिलाया जायेगा।

देवनानी ने सभी दलों से अपील की है कि सदन में गरिमा में रहकर मुद्दे उठायें जाए। सभी सदस्य सदन में मर्यादा में रहकर अपनी बात रखें। अमर्यादित आचरण ना करें। विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि विधान सभा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी हम सभी की है। दर्शकदीर्घा में आने वाले लोगों को अनुमति दिलाने से पहले विधायकगण संबंधित व्यक्ति के व्यवहार का आंकलन अवश्य कर लें ताकि सदन में किसी प्रकार की असुरक्षा ना हो।

सदस्य भी अपनी बात समय सीमा में रखने का प्रयास करें

इस मौके पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि सदन में अपनी-अपनी बात रखने के लिए पक्ष व प्रतिपक्ष के सभी सदस्यों की भावना एक समान होती है। उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों को अपनी बात रखने का मौका मिले इसके लिए पूरे प्रयास किये जाएं। सदस्य भी अपनी बात समय सीमा में रखने का प्रयास करें।

सदन चलाने की जिम्मेदारी पक्ष के साथ प्रतिपक्ष की भी

नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस के टीकाराम जूली ने कहा कि सदन में रखी गयी बातों को सरकार गंभीरता से ले और प्रश्नों के जवाब अगले सत्र से पहले आवश्यक रूप से प्रस्तुत कराये। उन्होंने कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी पक्ष के साथ प्रतिपक्ष की भी है। उन्होंने अध्यक्ष को आश्वस्त किया कि प्रतिपक्ष के सदस्य सदन में मर्यादापूर्ण व्यवहार से अपनी बात रखेंगे।

संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि राजस्थान विधान सभा में अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की यह नवीन और ऐतिहासिक पहल है। सदन संचालन में इसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम दिखाई देंगे। उन्होनें बैठक में उपस्थित होने वाले पक्ष व प्रतिपक्ष के नेतागण का आभार ज्ञापित किया। बैठक में सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग, बसपा के मनोज कुमार और रालोद के डॉ. सुभाष गर्ग भी मौजूद थे।

बैठक में आये महत्वपूर्ण सुझाव

बैठक में सदन में पहले से चल रही पर्ची पर बोलने की व्यवस्था को फिर से लागू किये जाने, समितियों की रिपोर्ट पर बहस कराये जाने, महत्वपूर्ण मुद्दों को शून्यकाल से पहले अध्यक्ष के ध्यान में लाने और अधिकारियों की उपस्थिति को सुनिश्चित किये जाने के सुझाव आये।

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