जेल की सलाखों में धुंआ हो रही कैदियों की जिंदगी
जयपुर, 26 जनवरी (हि.स.)। प्रदेश की जेलों ने जहां मोबाइल को लेकर एक अलग ही रिकॉर्ड कायम कर लिया है वहीं दूसरी ओर जेलों में जमकर मादक पदार्थ भी मिल रहे है। सार्वजनिक स्थानों पर धुम्रपान करना मना है लेकिन जेलों में इस नियम की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।जेलों में मिलने वाले मादक पदार्थ इस बात को साबित रहे हैं। तलाशी में जेलों में सबसे अधिक बीड़ी व सिगरेट मिले हैं। जेल में बंद कैदियों तक उनके दोस्त, परिजन या किसी अन्य माध्यम से आसानी से मादक पदार्थ पहुंच जाते है। कई बार इस प्रकार के मामलों में जेल प्रशासन की मिलीभगत की पोल भी खुलकर सामने आ चुकी है। लेकिन फिर भी इन पर लगाम नहीं लग पाई है। मादक पदार्थ की तलाशी को लेकर तो जेल प्रशासन केवल खानापूर्ति करता है।
पिछले साल आधा दर्जन से अधिक मामलों में मिले एक दर्जन बीड़ी बंडल व सिगरेट
आंकडों पर नजर डाले तो पिछले साल मादक पदार्थ मिलने के आधा दर्जन से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। पिछले साल मादक पदार्थ के आठ मामले सामने आए थे । जेल में गांजा, अमल, भांग सहित अन्य मादक पदार्थ मिलते है। इसके अलावा बीड़ी , सिगरेट, गुटखा, पान मसाला, जर्दा, तम्बाकू की तो जेल में भरमार रहती है। इन मामलों में जेल प्रशासन कार्रवाई करने की बजाय चेतावनी देकर कैदी को बख्श देती है। खास बात यह है कि कोटा में स्मैक व जोधपुर में अफीम के केस ज्यादा सामने आते है। सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान करने पर केवल जुर्माने का प्रावधान है । बीडी सिगरेट मिलने के सबसे ज्यादा मामले सेंट्रल जेलों में सामने आते है।
हर साल आधा दर्जन से अधिक कैदियों की मौत टीबी-कैंसर से
प्रदेश की जेलों में हर साल आधा दर्जन से अधिक बंदियों की मौत टीबी व कैंसर से होती है। टीबी व कैंसर का प्रमुख कारक धूम्रपान को माना गया है। धूम्रपान कर कैदी अपने साथ अन्य कैदियों को भी रोग बांट रहे है। हालांकि जेलों में कैदियों को इलाज की सारी सुविधाएं मिल रही है। प्रदेश में नौ सेंट्रल जेल, जोधपुर हाईसिक्योरिटी जेल, 104 जिला कारागार व सब कारागार है।
बीस रुपये का बंडल 200 से 250 रुपये में
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जेलों में बीड़ी का बंडल दस गुना दाम पर बेचा जाता है। जेल में एक बीड़ी का बंडल 200 से 250 रुपये में मिलता है। जबकि बाजार में एक बंडल की कीमत 20 रुपये से लेकर 25 रुपये तक है। पूर्व में कुछ जेल कर्मचारियों को बंदियों तक इस प्रकार का सामान पहुंचाते हुए भी पकड़ा जा चुका है। आबादी क्षेत्र में बनी जेलों में दीवार पार से आसानी से बंदी तक यह सामान पहुंचा दिया जाता है। इसका उदाहरण जयपुर सेंट्रल जेल है।
आईजी, कारागार जयपुर विक्रम सिंह इस संबंध में बीड़ी-सिगरेट की लत आसानी से छूटती नहीं है। जेल में बीड़ी-सिगरेट पीने पर रोक है। इसके चलते मोबाइल के बाद अब इसकी भी तस्करी होने लगी है। जितना रोकों उतनी ही बढ़ती जा रही हैं। इसे रोकने के लिए हरसंभव प्रयास जारी है। सबसे ज्यादा बीड़ी सिगरेट के मामले सेंट्रल जेलों में सामने आ रहे है। विशेष बात यह है कि अकेला बंदी ज्यादा बीडी-सिगरेट पीता है।
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश/संदीप