एम्स जोधपुर में भ्रूण चिकित्सा पर सिम्युलेटेड इंटरवेंशनल कार्यशाला आयोजित
जोधपुर, 29 अक्टूबर (हि.स.)। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज जोधपुर में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग द्वारा भ्रूण चिकित्सा (फीटल मेडिसिन) पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रतिभागियों को भ्रूण चिकित्सा में नैदानिक और माँ के गर्भ में ही इलाज की प्रक्रियाओं पर शिक्षित करना ही इस कार्यशाला का उद्देश्य रहा।
कार्यशाला में मेडिस्कैन चेन्नई के निदेशक डॉ. सुरेश शेषाद्रि जैसे भ्रूण चिकित्सा के प्रसिद्ध विशेषज्ञ शामिल हुए, जिन्होंने प्रसवपूर्व निदान के बुनियादी सिद्धांतों और जुड़वां जटिलताओं में रेडियो-फ्रीक्वेंसी एब्लेशन और लेजर उपचार जैसी भ्रूण चिकित्सा पर चर्चा की। जेआईपीएमईआर की डॉ. ममता गौड़ा ने गर्भ में पल रहे बच्चे में पेशाब और गुर्दे सम्बंधित बीमारियों और फेफड़ों में पानी भर जाने (पलूरल इफ़्यूजन) के उपचार के बारे में विस्तार से बताया और दिखाया कि यदि गर्भाशय में बच्चे को खून की कमी होने पर इंट्रा-यूटेराइन ट्रांसफ्यूजन कैसे दिया जाता है। प्रोफेसर कुलदीप सिंह, डीन एकेडमिक्स ने प्रसव पूर्व निदान के लिए किए जाने वाले विभिन्न आनुवंशिक परीक्षणों के बारे में संदेह दूर किए।
विभाग की प्रमुख डॉ. प्रतिभा सिंह ने जोधपुर, एम्स राजकोट, अजमेर, जयपुर, पटना सहित विभिन्न स्थानों से आए 25 प्रतिनिधियों का स्वागत किया। अपनी प्रारंभिक टिप्पणियों के दौरान, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भ्रूण को एक अजन्मा रोगी माना जाता है, और बढ़ते भ्रूण में विकारों को रोकने और उनका इलाज करने के लिए विभिन्न प्रक्रियाएं और हस्तक्षेप आवश्यक हैं।
एम्स जोधपुर के कार्यकारी निदेशक ने इस कार्यशाला के आयोजन के लिए प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग को बधाई दी। कार्यशाला की आयोजन सचिव डॉ. चारू शर्मा और डॉ. मीनाक्षी गोठवाल ने कहा कि यह जोधपुर में भ्रूण चिकित्सा (फीटल मेडिसिन) में अपनी तरह की पहली सिम्युलेटेड इंटरवेंशनल कार्यशाला थी।
हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप