श्रीराम ने शक्ति पूजा कर रावण को किया पराजित
उदयपुर, 31 दिसंबर (हि.स.)। जब रावण छलपूर्वक सीता का अपहरण कर ले गया, तब प्रभु श्रीराम उसको दंड देकर सीता को मुक्त कराने के लिए उससे युद्ध करने लगे, तब उन्हें ऐसा लगा कि रावण उनके सभी अमोघ बाणों को काट रहा है और उसके प्रहार वानर सेना को भयंकर क्षति पहुंचा रहे हैं। यह देख राम कुछ व्यथित से हो गए, क्योंकि उस समय वे नारायण नहीं, अपितु मानव रूप में थे। जब रावण जैसे अधर्मी के समक्ष धर्म के लिए युद्ध कर रहे राम को निराशा-सी होने लगी तब उन्होंने एकाग्र होकर ध्यान किया तो देखा कि रावण के पीछे देवी शक्ति खड़ी हैं। इस पर उन्होंने जामवंत से मंत्रणा की तो जामवंत ने उन्हें बताया कि रावण ने युद्ध में आने से पूर्व शक्ति की पूजा की है, इसलिए देवी उसको सुरक्षा और बल प्रदान कर रही है। आप भी देवी का यज्ञ करें, तो वे आपको यह धर्म युद्ध जीतने का वरदान प्रदान कर सकती हैं।
इस पर श्रीराम ने जब शक्ति का यज्ञ किया और आहुति के लिए 101 कमल पुष्प रखे, उनमें से देवी ने परीक्षा के लिए अपनी माया से एक पुष्प गायब कर दिया। जब राम को 101वां पुष्प नहीं मिला तो उन्हें स्मरण हुआ कि उन्हें माताएं कमल नयन कहती थीं, तो उन्होंने अंतिम आहुति के लिए बाण से अपनी आंख निकालने को तत्पर हुए तभी देवी प्रसन्न होकर प्रकट हुईं और उन्होंने राम को विजयी भवः आशीर्वाद प्रदान कर जीत का वरदान दिया।
यह दृष्टांत भगवान राम की कथा पर लिखी सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता ‘राम की शक्ति पूजा’ पर आधारित है। इसमें वर्णित राम-रावण युद्ध का यह प्रसंग शनिवार रात को पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर के शिल्पग्राम उत्सव के अंतिम दिन शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी मंच पर संगीता शर्मा की नृत्य नाटिका ‘राम की शक्ति पूजा’ की प्रस्तुति में साकार हुआ। इसमें कलाकारों के अभिनय ने इतनी जीवंतता डाल दी कि हजारों दर्शक राममयी माहौल में गोते लगाते हुए भावुक हो गए।
इनकी रही विशेष भूमिका-
इस नृत्य नाटिका की डिजाइन, निर्देशन और कोरियोग्राफी विश्व प्रसिद्ध नृत्यांगना और योग गुरु संगीता शर्मा ने की। वहीं, अदिति चटर्जी ने शक्ति, निखिल कुमार ने राम, शुभम गंगानी ने रावण, तुषार यादव, आशीष कुमार, हैप्पी बिश्वास, पुनित गंगानी ने राम के स्वप्न के पात्र, अभिनव मलिक ने जामवंत और अदिति रानाकोटी ने सीता के स्वप्न की पात्र की भूमिका निभाते हुए परफॉर्म किया। वॉइस ओवर अमित सक्सेना का रहा। साउंड इंजीनियर सैंडी सिंह थे, जबकि लाइटिंग अतुल मिश्रा की रही।
देशभर के लोक नृत्यों का छाया जादू-
दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के अंतिम दिन शनिवार को मुक्ताकाशी मंच पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक की लोक संस्कृति का चला जादू समूचे शिल्पग्राम में छा गया। इस दौरान कई राज्यों के लोक नृत्यों की मनोहारी प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। हजारों दर्शक लोक कलाकारों के उम्दा फन से सम्मोहित हो गए। इस दौरान हर खुशी के अवसर पर होने वाले बधाई नृत्य ने मध्यप्रदेश और माधुरी नृत्य ने तेलंगाना, प्रेम प्रदर्शन के प्रतीक छपेली डांस ने उत्तराखंड, कावड़ी कड़क्कम नृत्य ने तमिलनाडु और बिहू डांस ने असमिया संस्कृति को मंच पर जीवंत कर खूब वाहवाही लूटी। वहीं, कश्मीर का रौफ डांस, जो वहां वसंत ऋतु में उमंग और उत्साह से किया जाता है, ने भी खूब तालियां बटोरी। इसके साथ ही तीन फुट लंबे अनूठे ढोलों के लिए प्रसिद्ध आदिवासी वांगला डांस ने मेघालय, बधाइयों के प्रतीक गिद्दा डांस ने पंजाबी तथा हरियाणवी घूमर ने हरियाणा की कल्चर से दर्शकों को रू-ब-रू कराया। इसी तरह, गले में बड़ा पुंग (ढोल) बजाते हुए घूमती जंप ले-लेकर नृत्य करते नर्तकों के आकर्षक पुंग चोलम डांस ने मणिपुरी संस्कृति को जीवंत कर दिया।
250 कलाकारों के फिनाले ‘धरती धोरां री...’ से शानदार समापन-
उत्सव की अंतिम शाम का फिनाले आइटम अनूठा और मनभावन रहा। इसमें 250 लोक कलाकारों ने रहीस भारती के निर्देशन में शानदार प्रस्तुति से समां बांधा। इस पेशकश में ‘धरती धोरां री... आ तो सुरगां नै सरमावै, ईं पर देव रमण नै आवै, ईं रो जस नर नारी गावै... धरती धोरां री’ गाने पर सुपर फ्यूजन ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।
कलाकारों और अतिथियों को किया सम्मानित-
प्रस्तुतियों के बाद पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक किरण सोनी गुप्ता व मुख्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने कलाकारों को पोर्टफोलियो प्रदान किया और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इसके साथ ही निदेशक ने अतिथियों का स्मृति चिह्न भेंट कर शॉल ओढ़ाकर बहुमान किया।
हिन्दुस्थान समाचार/ सुनीता कौशल/ईश्वर