सरकार मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति गंभीर और संवेदनशील : चिकित्सा मंत्री
जयपुर, 30 जुलाई (हि.स.)। चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा एवं सम्मान के साथ जीने का जन्मसिद्ध अधिकार है, जो उसे प्रकृति प्रदत्त एवं संविधान द्वारा संरक्षित है। राज्य सरकार मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति संवेदनशील है।
खींवसर राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग जयपुर के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-24 पर हुई चर्चा के बाद सदन में अपना जवाब प्रस्तुत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में राज्य आयोग में कुल 5076 शिकायतें प्राप्त हुई, जिनमें से 3130 का निस्तारण किया गया। जबकि, वर्ष 2024 में एक जनवरी से 30 जून तक कुल 2417 शिकायतें प्राप्त हुईं तथा 3502 शिकायतों का निस्तारण किया गया। निस्तारित शिकायतों का आंकड़ा इसलिये अधिक है क्योंकि पूर्व में दर्ज 1085 शिकायतों का निस्तारण भी इस अवधि में किया गया। यह जाहिर करता है कि राज्य सरकार मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति कितनी गंभीर और संवेदनशील है।
इससे पूर्व चिकित्सा मंत्री ने बताया कि संसद में पारित अधिनियम के माध्यम से वर्ष 1993 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना की गई थी तथा इसके बाद राज्यों में मानवाधिकार आयोगों की स्थापना हुई। इनकी स्थापना का उद्देश्य मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकना था। उन्होंने बताया कि राज्य में वर्ष 2000 में राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग की स्थापना की गई। आयोग द्वारा मीडिया में प्रकाशित खबरों के आधार पर भी मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों पर प्रसंज्ञान लिया जा सकता है, लेकिन न्यायालय में विचाराधीन प्रकरणों पर आयोग विचार नहीं करता है। खींवसर ने बताया कि वर्तमान में आयोग में एक अध्यक्ष तथा दो सदस्य हैं। आयोग द्वारा जिलों के दौरे किये जाते हैं तथा जेल, पुलिस स्टेशन, वृद्धाश्रम, नारी निकेतन व खदानों आदि का निरीक्षण किया जाता है। उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा लोगों को मानवाधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए शिविरों तथा जनजागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।
हिन्दुस्थान समाचार / रोहित / संदीप