अरावली को बचाने आगे आए संगठन ज्ञापन सौंप जताया विरोध
चित्तौड़गढ़, 19 दिसंबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद 100 मीटर से कम ऊंचाई की पहाड़ियों को अरावली पर्वत श्रृंखला से अलग किये जाने के निर्णय से अब देश और प्रदेश में अभियान तेज हाेता जा रहा है और यह जन जागरण अभियान अब आंदोलन का रूप ले रहा है। आज चित्तौड़गढ़ में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने ज्ञापन सौंपकर सुप्रीम कोर्ट से मामले पर पुनर्विचार करने और प्राकृतिक विरासत को बचाने की अपील की।
शहर के संगम विकास समिति ने ज्ञापन में बताया कि अरावली पर्वत माला की नई परिभाषा को लेकर विरोध जताया है वहीं जंगल, जीव और मानव समाज के लिए इस निर्णय को खतरनाक बताया। उन्होंने कहा कि अरावली की ऊंचाई को आधार न मानकर पुनर्विचार किया जाये, क्योंकि अरावली केवल पर्वत श्रृंखला नहीं बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान है। अगर यह नष्ट होती है तो करोड़ाें वन्य जीव, वनस्पति खत्म हो जायेगी। ज्ञापन देने के दौरान सत्यनारायण भोई, बालकिशन भोई, हर्षवर्धन सिंह, पूरण राणा, हरिश ईनाणी, ओम प्रकाश लढ्ढा, मनोज वैष्णव, गोपाल कृष्ण दाधिच, लाभचंद कुमावत, हीरालाल, दिव्या सालवी आदि मौजूद थे।
इसी प्रकार अरावली पर्वत माला को बचाने के लिए बालाजी सेवा संस्थान के प्रतिनिधियों ने भी ज्ञापन सौंपा और कहा कि यदि इसके लिए आंदोलन करना पड़ा तो भी वह पीछे नहीं रहेंगे। संस्थान के नरेन्द्र शर्मा ने बताया कि अरावली के अस्तित्व पर मंडरा रहे गंभीर खतरे को लेकर वे आगाह करना चाहते है और यह निर्णय पर्यावरण के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र के समान है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा हुआ तो आने वाला समय देश के लिए भयावह होगा और पर्वत मालाएं खोखली हो जायेगी। इस दौरान मनीष शर्मा, गणपत शर्मा, किरण खटीक, राधा वैष्णव, दीपिका गुर्जर, दुर्गेश लक्षकार, कल्पना नागर, पूजा धाकड़, अंजली दाधिच, नीलम आमेटा, नेहा प्रजापत, तारा भोई, विमला माली आदि कार्यकर्ता मौजूद थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / अखिल