आबू में अखण्ड रामधुन बंद कराने पर संत समाज नाराज, मेवाड़ संत मंडल की बैठक सोमवार को
उदयपुर, 31 दिसंबर (हि.स.)। माउंट आबू में गणेश मार्ग स्थित शिव शक्ति आश्रम पर 12 दिसम्बर से 22 जनवरी तक चल रही अखण्ड रामधुन को 18 दिसम्बर को बंद करवाने, वहां लगे होर्डिंग-पोस्टर आदि फाड़ने व धर्मध्वजाओं को निकालकर फेंकने की कार्रवाई से सम्पूर्ण संत समाज में रोष व्याप्त है। वहां बिजली की लाइन भी काट दी गई। संत समाज के सान्निध्य में हो रहे इस आयोजन पर इस तरह की कार्रवाई से मेवाड़ संत मंडल ने कड़ा विरोध व्यक्त करने का ऐलान किया है। इसके लिए मेवाड़ संत मंडल के संरक्षक दिगम्बर खुशाल भारती महाराज सोमवार को माउंट आबू पहुंचेंगे।
दिगम्बर खुशाल भारती ने रविवार को यहां जारी बयान में कहा कि संतों का स्वभाव वनक्षेत्र में रमने का होता है। वे सामान्यजन से दूर अपनी धुणी रमाते हैं ताकि सामान्य समाज को परेशानी न हो और संतों को प्रकृति का सान्निध्य मिले। संत समाज प्रकृति के नजदीक होता है और प्रकृति को ही पूजता है। यह आयोजन भी प्रकृति के सान्निध्य में हो रहा था। 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में चल रहे इस आयोजन के बीच में वन विभाग के अधिकारियों ने खलल डाला और पूरे आयोजन को इस तरह से नष्ट-भ्रष्ट कर दिया, मानो त्रेता में खर-दूषण जैसे राक्षस संतों के यज्ञों को नष्ट-भ्रष्ट करते थे। इस तरह की राक्षसी कार्रवाई से संत व सनातन समाज आहत है।
मेवाड़ संत मंडल के साधु-संतों की अब यह मांग है कि आबू पर्वत क्षेत्र में जो संत अपनी साधना में बरसों से लीन हैं और वहीं रमे हुए हैं, उन्हें वन अधिकार का पट्टा जारी किया जाए। आबूपर्वत में शेरगांव, उतरज, गुरुशिखर, जवाई, ओरिया, अचलगढ, देलवाडा, सालगांव, तोरणा, ढुंढाई, सानीगांव, मांचगांव, गौमुख, हेटमजी, आरणा के जंगलों में एवं आबादी के आसपास साधु-संत बिराजमान हैं और मंदिर भी हैं जो कि वन विभाग के क्षेत्राधिकार में आते हैं। उनके वनाधिकार पट्टे जारी करने की मांग के साथ धार्मिक आयोजन, पुराने क्षतिग्रस्त मंदिरों के जीर्णाेद्धार, संत निवासों के जीर्णाेद्धार, बिजली-पानी एवं शौचालयं बनवाने के कार्य में भविष्य में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप वन विभाग द्वारा नही किए जाने की मांग भी प्रमुखता से की जा रही है।
दिगम्बर खुशाल भारती महाराज ने कहा कि आवश्यकता होने पर मेवाड़ संत मंडल, राष्ट्रीय महाकाल सेना सहित विभिन्न सनातनी संगठनों की ओर से इसे आंदोलन का रूप दिया जाएगा। इसके लिए सोमवार को आबू में सर्व समाज व संत समाज की बैठक आहूत की गई है जिसमें शामिल होने वे सोमवार को सुबह आबू प्रस्थान करेंगे। ऐसी राक्षसी कार्रवाई करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के निलम्बन की भी मांग संत समाज कर रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार/ सुनीता कौशल/ईश्वर