संत समाज गोचर-ओरण मुद्दे पर अब आर-पार की लड़ाई पर
बीकानेर, 29 दिसंबर (हि.स.)। प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है और सरकार की नीति भ्रमित हो गई है। जो पार्टी गौमाता और साधु-संतों के समर्थन से सत्ता में आई है, यदि वह पथभ्रष्ट हो जाए तो उसे मार्ग दिखाना भी हमारा दायित्व है। ये उद्गार राष्ट्रीय संत सरजूदास महाराज ने सोमवार को गोचर एवं ओरण संरक्षण के मुद्दे पर रानी बाजार स्थित गोदावरी पैलेस में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में व्यक्त किए।
महामंडलेश्वर सरजूदास महाराज ने सरकार एवं प्रशासन को 26 जनवरी 2026 तक का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि यदि इस अवधि तक गोचर भूमि संरक्षण को लेकर ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो 27 जनवरी 2026 से बड़े स्तर पर आंदोलन एवं प्रदर्शन किया जाएगा।
अखिल भारतीय गोचर गोवंश संरक्षक संस्थान, गोचर ओरण संरक्षण समिति राजस्थान (बीकानेर), अखिल भारतीय संत समिति सहित अनेक सामाजिक संगठनों एवं संत-महात्माओं की ओर से आयोजित इस पत्रकार सम्मेलन में बताया गया कि गत चार माह से लगातार विरोध के बावजूद जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार द्वारा गोचर भूमियों को पुनः गोचर के रूप में बनाए रखने के लिए कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है। इससे संत समाज, गौसेवकों, गौपालकों एवं आमजन में भारी आक्रोश व्याप्त है। सरजूदास महाराज ने कहा कि यह आंदोलन धर्मनीति के तहत होगा, इसमें राजनीति का कोई स्थान नहीं है।
गोचर ओरण संरक्षण समिति के संयोजक शिवकुमार गहलोत ने कहा कि राजस्थान सरकार के 1 सितंबर 2025 के नोटिफिकेशन के माध्यम से गोचर भूमियों को बीकानेर विकास प्राधिकरण के नाम दर्ज करने के आदेश जारी किए गए हैं। इन्हीं आदेशों के आधार पर बीकानेर के नए मास्टर प्लान 2023-2043 में शरह नथानिया, सुजानदेसर, भीनासर एवं उदयरामसर क्षेत्र की लगभग 40 हजार बीघा गोचर भूमि को आवासीय एवं वाणिज्यिक उपयोग में परिवर्तित करने का प्रस्ताव रखा गया है, जो गैरकानूनी होने के साथ-साथ जनभावनाओं को आहत करने वाला है। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए धरना, प्रदर्शन, क्रमिक अनशन, बीकानेर बंद एवं भूख हड़ताल सहित सभी लोकतांत्रिक उपाय अपनाए जाएंगे।
गौसेवक मनोज सेवग ने कहा कि गोचर भूमि केवल गौमाता के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे शहर को ऑक्सीजन प्रदान करने वाला क्षेत्र है। यहां लाखों पेड़, जीव-जंतु और जैव विविधता का संरक्षण होता है। उन्होंने बिश्नोई समाज द्वारा चलाए जा रहे खेजड़ी आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि गोचर भूमि में 3 से 4 लाख से अधिक खेजड़ी के वृक्ष मौजूद हैं, जिनकी रक्षा के लिए पूर्ण शक्ति के साथ आंदोलन किया जाएगा। सेवग ने बताया कि 27 जनवरी 2026 को प्रस्तावित धरने में देशभर के अनेक संतों ने भाग लेने की स्वीकृति दे दी है तथा सैकड़ों साधु-संत स्थायी रूप से आंदोलन में शामिल होंगे। महंत क्षमाराम महाराज, सागर के धरानंद जी महाराज तथा विवेकनाथ बगेची के शिवशक्तिनाथ महाराज ने वीडियो संदेश जारी कर आंदोलन को समर्थन दिया है।
पत्रकार सम्मेलन में महंत शंकरपुरी, योगी ओमनाथ महाराज, श्रीभगवान अग्रवाल, ज्योतिषाचार्य पं. राजेंद्र किराड़ू, मिलन गहलोत सहित अनेक संत एवं सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव