वांछित योग्यता जांचे बिना अभ्यर्थियों का फॉर्म भरने वाले ई-मित्र संचालकों पर होगी कार्रवाई

 


अजमेर, 27 दिसंबर (हि.स.)। राजस्थान लोक सेवा आयोग ने प्रदेश में संचालित 80 हजार ई-मित्र कियोस्क संचालकों द्वारा की जा रही गंभीर लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने पाया है कि कई ई-मित्र संचालक बिना शैक्षणिक योग्यता जाँचे ही अभ्यर्थियों के ऑनलाइन आवेदन भर रहे हैं, जिसके कारण विभिन्न भर्तियों के तहत बड़ी संख्या में अपात्र अभ्यर्थियों के आवेदन आयोग को प्राप्त हो रहे हैं। इस संबंध में आयोग द्वारा सूचना एवं प्रौद्योगिकी और संचार विभाग को ई मित्र संचालकों को निर्देशित करने के संबंध में पत्र प्रेषित किया जा चुका है।

आयोग सचिव ने बताया कि जब भी किसी भर्ती का विज्ञापन निकलता है, तो ई-मित्र संचालक अभ्यर्थी की मूल शैक्षणिक योग्यता की जांच नहीं करते। वे केवल मोबाइल पर प्राप्त ओटीपी के जरिए आवेदन पत्र भर देते हैं। इस लापरवाही के कारण कई भर्तियों में लाखों की संख्या में ऐसे अभ्यर्थी आवेदन कर देते हैं जो उस पद के लिए वांछित शैक्षणिक योग्यता तक नहीं रखते हैं। इससे परीक्षाओं के आयोजन में अनावश्यक श्रम, समय और सरकारी धन की बर्बादी होती है।

​आयोग ने स्पष्ट किया है कि गलत तरीके से आवेदन भरना केवल अभ्यर्थी की गलती ही नहीं है। ऐसा करने वाले ई-मित्र संचालक भी भारतीय न्याय संहिता की धारा 217 के तहत अपराध के भागीदार हैं। आयोग द्वारा राज्य के सभी जिला कलेक्टरों से भी आग्रह किया गया है, कि वे अपने जिले के ई-मित्र संचालकों की निगरानी करें और नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई करें।

आयोग के कड़े निर्देश

अनिवार्य जांच: अब ई-मित्र संचालकों को फॉर्म भरने से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि अभ्यर्थी के पास उस पद के लिए आवश्यक न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता है या नहीं।

प्रशिक्षण और निर्देश: प्रदेश के सभी ई-मित्र संचालकों को इस संबंध में आवश्यक प्रशिक्षण और दिशा-निर्देश देने के लिए सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग को कहा गया है।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / संतोष