खेत में घायल मिला 'बार्न आउल', पंख हो गया था क्षतिग्रस्त, रेस्क्यू कर वन विभाग को सौंपा
चित्तौड़गढ़, 17 दिसंबर (हि.स.)। शहर के निकट ओछड़ी गांव में घायलावस्था में 'बार्न आउल' (उल्लू) घायल अवस्था में मिला है। ग्रामीणों की सूचना पर वन्य जीव प्रेमी की टीम मौके पर पहुंची। उल्लू का एक पंख क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे यह उड़ नहीं पा रहा था। इस टीम ने उल्लू को सुरक्षित रेस्क्यू कर पशु चिकित्सालय में इसका उपचार करवाया। बाद में इसे वन विभाग को सौंप दिया।
जानकारी में आया कि शहर के निकट ओछड़ी में रेलवे फाटक के पास शांतिलाल मेनारिया व भंवरलाल मेनारिया के खेत में एक घायल बार्न आउल (उल्लू) दिखाई दिया। पक्षी घायल अवस्था में पड़ा था और उड़ने में असमर्थ था। इसकी जानकारी खेत मालिक को मिली। इस पर उन्होंने इसकी सूचना तुरंत वन्य जीव प्रेमी मनीष तिवारी को दी। इसके बाद रेस्क्यू टीम के सदस्य मुबारिक ने मानवीय संवेदना का परिचय देते हुए मौके पर पहुंच कर उल्लू को देखा। उल्लू का एक पंख क्षतिग्रस्त था। मुबारिक ने सावधानीपूर्वक घायल उल्लू को पकड़ा और उसे पानी पिलाने का प्रयास किया। इसके बाद घायल पक्षी को पियूष कांबले और मुबारिक ने उपचार के लिए वन्यजीव चिकित्सक डॉ. धर्मेन्द्र के पास लेकर हुए। यहां उल्लू का चिकित्सकीय परीक्षण किया गया। यहां एक्स-रे में पता चला कि उल्लू के दाहिने पंख में गंभीर चोट है। उसे तुरंत सर्जरी कर उपचार दिया गया लेकिन वह उड़ने में असमर्थ है था। अब यह बार्न आउल को रेस्क्यू टीम ने वन विभाग को सौंप दिया। इस उल्लू के स्वास्थ्य पर निगरानी रखी जा रही है। जब तक यह पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर फिर से उड़ने योग्य न हो जाए। गौरतलब है कि यह मानवीय प्रयास न केवल एक जीवन को बचाने का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि समर्पण और सहयोग से किसी भी वन्य जीव का जीवन सुरक्षित किया जा सकता है। वन विभाग और रेस्क्यू टीम ने एक बार फिर यह साबित किया है कि इंसान और प्रकृति का संबंध संरक्षण और करुणा से ही मजबूत होता है। रेस्क्यू अभियान के दौरान ओछड़ी गांव के शांतिलाल मेनारिया, भंवरलाल मेनारिया, मोहनलाल मेनारिया, कमलेश मेनारिया, देवेन्द्र, राजेंद्र मेनारिया आदि मौजूद रहे।
कहलाता है घास फूस का उल्लू
वन्य जीव विशेषज्ञ मनीष तिवारी ने बताया कि 'बार्न आउल' को घास फूस उल्लू या सफेद उल्लू भी कहा जाता है। यह एक सुंदर रात्रिचर पक्षी है, जो पूरी दुनिया में पाया जाता है। भारत में यह राजस्थान सहित कई क्षेत्रों में आम है और कीटभक्षी होने के कारण कृषि के लिए लाभकारी माना जाता है। इसकी विशेषता सफेद-भूरे रंग का चेहरा, लंबे पंख और चुपचाप उड़ने की क्षमता है, जो इसे शिकार के दौरान अदृश्य बनाती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अखिल