छाती की मध्य हड्डी के ट्यूमर की रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी

 


जोधपुर, 16 दिसम्बर (हि.स.)। मथुरादास माथुर अस्पताल के उत्कर्ष कार्डियोथोरेसिक विभाग में पश्चिमी राजस्थान की पहली छाती की मध्य हड्डी (स्टेर्नम) के ट्यूमर की सफल रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी की गई।

सीटीवीएस विभागअध्यक्ष डॉ. सुभाष बलारा ने बताया कि बाड़मेर निवासी 76 वर्षीय देवी को दो वर्षों से छाती की मध्य हड्डी में गांठ के कारण सीने में दर्द, भारीपन तथा सांस फूलने की तकलीफ थी। गत एक वर्ष से यह गांठ बढ़ती जा रही थी और मरीज को खाना निगलने में भी दिक्कत शुरू हो गई थी जिसके लिए उन्होंने अपने क्षेत्र में प्रारंभिक इलाज लिया लेकिन लाभ नहीं मिलने की स्थिति में वह मथुरादास माथुर अस्पताल में भर्ती हुई,जहां जांचों (इको, रिकंस्ट्रक्टिव सिटी चेस्ट एवं एब्डोमेन) में छाती की मध्य में स्थित मुख्य हड्डी स्टेर्नम से एक बड़े गेंद बराबर ट्यूमर के अराइज होने की पुष्टि हुई। यह ट्यूमर इतना बड़ा हो चुका था कि ना सिर्फ यह छाती की हड्डी (स्टेर्नम) बल्कि दाहिने और बाएं तरफ की चार-चार पसलियांं में भी फैल चुका था और दोनों फेफड़ों को दबा रहा था जिसके कारण मरीज को सांस फूलने की तकलीफ थी। ट्यूमर हार्ट की झिल्ली तक पहुंच हृदय की गति को भी अनियमित कर रहा था। यह ट्यूमर अपने साइज की वजह से हृदय को भी पीछे धकेल चुका था जिसकी वजह से खाने की नली (ईसोफेगस) दब रही थी, ट्यूमर का डायाफ्राम (छाती और पेट को अलग करने वाली दीवार) में भी इनफील्ट्रेशन था जिसकी वजह से पेट का ऊपरी भाग दब रहा था और इसी कारण से मरीज को खाना खाने में तकलीफ और उल्टी शुरू हो गई थी। मरीज एवं उसके परिजनों से सहमति के उपरांत ऑपरेशन का निर्णय लिया गया।

इस ऑपरेशन में ट्यूमर को एन ब्लॉक (एक साथ) छाती के मुख्य हड्डी स्टेर्नम के भाग, पास की पसलियां हार्ट की ऊपरी झिल्ली (पेरिकार्डियम), पेट और छाती को अलग करने वाली दीवार (डायाफ्राम) को भी हटाया गया। यह ट्यूमर ढाई किलो वजनी था। बाद में इनका रिकंस्ट्रक्शन भी उतना ही चुनौतीपूर्ण कार्य था जिसके लिए कृत्रिम (पॉलिप्रोपिलीन) मेश का इस्तेमाल किया गया। साथ ही छाती की मांसपेशियों को मोबिलाइज कर मायो क्यूटनीस फ्लैप रेज कर पूर्ण रिकंस्ट्रक्शन किया गया ताकि शरीर के मुख्य अंगों (हृदय और फेफडों) को कवरेज और सपोर्ट मिले।, छाती की हड्डी का ट्यूमर छाती में पाए जाने वाले प्राइमरी ट्यूमर का 5 प्रतिशत होता है और शरीर में पाए जाने वाले सारे प्राइमरी ट्यूमर का केवल एक प्रतिशत होता है। यह ट्यूमर 50 से 80 वर्ष की आयु में महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में ज्यादा पाए जाता है। यह एक रेजिस्टेंट टयूमर होता है जिस पर कीमोथेरेपी और रेडियोथैरेपी का कम प्रभाव पड़ता है और केवल पूर्ण सर्जिकल एक्सीजन ही इसका इलाज है।

ऑररेशन टीम में डॉ. सुभाष बलारा के साथ डॉ. अभिनव सिंह, डॉ. देवाराम, एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. राकेश करनावत, डॉ. गायत्री, ओटी स्टाफ दिलीप, रेखाराम, बाबुलाल, आचुओटी इंचार्ज दिनेश गोस्वामी, आसिफ इकबाल, परफ्यूशनिस्ट माधोसिंह और मनोज, आईसीयू के डॉ. दिनेश सोनी, डॉ. असलम और स्टाफ महावीर, भंवर एवं राहुल ने सहयोग दिया। ऑपरेशन के पश्चात मरीज का इलाज सिटी आईसीयू तथा वार्ड में किया गया। डिस्चार्ज के उपरांत मरीज का उपचार नियमित रूप से सिटीवीएस ओपीडी में चल रहा है और अब वह पूर्णता स्वस्थ है। डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल व नियंत्रक डॉ. दिलीप कच्छवाहा तथा एमडीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित ने डॉक्टरों की टीम को बधाई दी।

हिन्दुस्थान समाचार/सतीश/संदीप