नागौर के ऊंट मोहन पर सजा राम दरबार, हैरतअंगेज करतब देख उत्साहित हुए विदेशी सैलानी
नागौर, 20 फ़रवरी (हि.स.)। रामदेव पशु मेले में पशुओं में ऊंटों, घोड़ों और नागौरी बैलों की विभिन्न प्रतियोगिताएं चल रही हैं। यहां ऊंटों की प्रतियोगिता को देखने के लिए सात समंदर पार से विदेशी मेहमान भी पहुंचे हैं। यही नहीं ये सैलानी यहां कॉम्पिटिशन के जज भी बने। पशुपालकों ने अपने पशुओं को अलग-अलग परिधानों और कतरन कला के जरिए सजाया है। किसी ने ऊंट पर राम दरबार लगाया है तो कहीं ऊंट को दुल्हन की तरह सजाया गया है। कहीं कैमल डांस को लेकर लोग उत्साहित हैं तो कई ऊंट और ओनर के करतब देख दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं। दस फरवरी से नागौर में चल रहे राज्य स्तरीय श्री रामदेव पशु मेले में प्रदेशभर के पशुपालक पहुंचे हैं। इसका आधिकारिक समापन 24 फरवरी को होगा।
नागौर मेले में आए ऊंटों पर पशुपालकों ने कतरन कला के जरिए अपने ऊंटों को सजाया है। ये ऊंट बिक्री के लिए भी हैं। इन्हें प्रतियोगिता के लिए दुल्हन की तरह सजाया जाता है। बीकानेर मेले में कतरन कला में पहला स्थान पाने वाला ऊंट मोहन भी यहां पहुंचा। ऊंट के मालिक नागौर जिले की परबतसर तहसील मेहरासी गांव के त्रिलोक राम बताते हैं कि उनका ऊंट मोहन उनकी भाषा जानता है। वो उन्हीं के इशारे पर काम करता है। मोहन नाम पुकारने पर वह त्रिलोक राम के पास दौड़ा चला जाता है। त्रिलोक बताते हैं कि मोहन की उम्र छह साल है। मोहन ने बीकानेर पशु मेले में सजावट की प्रतियोगिता में पहला स्थान जीता था। इस बार उन्होंने मोहन की पीठ पर कतरन कला के जरिए श्री राम का दरबार उकेरा है। मोहन के शरीर पर दाईं ओर जय श्री राम, राम-सीता-हनुमान और लोकदेवता बाबा रामसापीर बनाए हुए हैं। वहीं बाईं ओर ऊंट से हल चलाता किसान, तेजाजी महाराज, हिरण का पीछा करता हुआ शेर आदि के चित्र उकेरे गए हैं। उन्होंने बताया कि कैंची के जरिए वे इस कला को ऊंट के शरीर पर उकेरते हैं। त्रिलोकराम ने बताया कि हाल ही में अयोध्या में रामलला की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के प्रति आमजन में श्रद्धा भाव को देखते हुए राम-सीता-हनुमान के चित्र उकेरे हैं।
बीकानेर के अकासर गांव से आए पशुपालक रामलाल कूकणा ने बताया कि यहां हर किस्म के ऊंट हैं। यहां बिक्री के लिए डेढ़ लाख तक के ऊंट आए हैं। कुछ पशुपालन के शौकीन यहां सिर्फ प्रदर्शनी और प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए अपने मवेशी यहां लाते हैं। मेले में ऊंटों की प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आए झुंझुनूं जिले के छावसरी से आए नेकीराम ने बताया कि यहां सांचौर (जालोर), बीकानेरी समेत मरूभूमि की सभी नस्लों के ऊंट आते हैं। उन्होंने ऊंटों की विशेषता बताते हुए कहा- दौड़ में जैसलमेरी, वजन में बाड़मेरी, खेती में मेवाड़ी-नागौरी ऊंट का विशेष महत्व माना जाता है। यहां गुजरात के कच्छ-भुज इलाके से भी ऊंट बिक्री और प्रतियोगिता के लिए आए हैं। अमेरिका से आई हुई एमी बक ने बताया कि वे अमेरिका से भारत दो दिन के लिए सिर्फ नागौर पशु मेला देखने आई हैं। एमी बक ऊंटों की प्रतियोगिता में बतौर निर्णायक मौजूद रहीं। उन्होंने यहां ऊंटों की दौड़ देखी। साथ ही सजावट प्रतियोगिता में भी जज के रूप में भूमिका निभाई। वहीं अमेरिका से आई विवियन और बारबरा ने बताया कि उन्होंने अपने देश में ऐसी अनोखी प्रतियोगिता कभी नहीं देखी। कैटल फेयर में आए पशुपालकों ने बड़े ही सुंदर ढंग से अपने पशुओं को सजाया है।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप